rpmwu281
08.11.2019
निजिकरण_Privatization
यह निश्चित है कि निजीकरण से जो #समुदाय या लोग #बिजनेस करते हैं या बिजनेस करने की मंशा रखते हैं उन्हें #लाभ होगा और जो #समुदाय या लोग सरकारी #नौकरी करने की सोच रखते हैं उन्हें #हानि होगी।
एक और बात है कि #निजीकरण में किस व्यक्ति को #जॉब पर रखना है व किस को नहीं रखना है या किस को किस स्तर पर रखना है यह #कांट्रेक्टर व उसके प्रबंधन पर #निर्भर करेगा। और सरकार जितनी #सैलरी कर्मचारियों को देती है वह उसका लगभग 1/3 या उससे #कम सैलरी कर्मियों को देगा। क्या ऐसी सैलेरी पर काम करने वाले लोग उनके #बच्चों, जो कि भारत का #भविष्य बनने वाले है, को सही ढंग से #पालन पोषण व #पढ़ा लिखा पायेंगे?
ऐसे में बहुत आवश्यकता है कि #निजीकरण को किन-किन क्षेत्रों में बढ़ाया जाए और किन में नहीं यह #गंभीरता से सोचने की जरूरत है।
एक महत्वपूर्ण बात यह है कि निजीकरण आखिरकार क्यों रहा है? इस बात को समझना होगा, #निजीकरण होने के पीछे यह सोच खासी काम करती है कि #सरकारी_लोग #काम_नहीं करते हैं और करते हैं तो अच्छी गुणवत्ता का काम नहीं करते है। इस सोच का सकारात्मकता से इलाज करना भी सरकारी लोगों के हाथ में ही है। अंधाधुंध निजीकरण की ओर जाने की वजाय आवश्यकता है की सरकारी #सिस्टम्स को #सही किया जाए और जो लोग काम नहीं करते हैं या खराब काम करते हैं या खराब काम करने या काम नहीं करने का माहौल बनाते है उनके प्रति #कड़ा_रुख अपनाया जाए। वास्तव में जो लोग काम नहीं कर रहे हैं या काम नहीं करने का माहौल बनाते हैं वे #भावी_पीढ़ी के लिए सरकारी जॉब के #रास्ते_बंद कर रहे हैं। अतः बहुत ही सख्ती से निपटने की जरूरत है।
33 वर्ष की सेवा या 60 वर्ष की उम्र पर #सेवानिवृत्ति का #फार्मूला #तुरंत लागू कर देना चाहिये क्योंकि ऊपर बैठे लोग जब काम नहीं करते है तो आॅर्गनाईजेशन को भारी नुकसान होता है।
रघुवीर प्रसाद मीना
No comments:
Post a Comment
Thank you for reading and commenting.