Tuesday 12 November 2019

वेतन चोर व उनके मददगारों का मन गरीब मजदूरों से भी गरीब है।

rpmwu284 dt.11.11.2019

वेतन चोर व उनके मददगारों का मन गरीब मजदूरों से भी गरीब है। 

अनेक अवसरों पर सभी के ध्यान में आया होगा कि छोटी प्राईवेट नौकरी करने वाले कई मजदूरों व कामगारों को सरकार के मुताबिक तय की गई न्यूनतम मजदूरी के अनुसार जो वेतन देय होता है या तो उतना दिया ही नहीं जाता हैं अथवा ठेकेदार या संस्था कागजों में तो उतना दिखा देते हैं परंतु उनके क्रेडिट कार्ड इत्यादि लेकर या एडवांस रिकवरी के नाम पर उस पैसे को पुनः वापस अपने पास ले लेते हैं।

ऐसे वेतन चोर व उनके सहयोगकर्ता मन से उन गरीब मजदूरों व कामगारों से भी गरीब है जिनका कि वेतन पहले से ही बहुत कम होने के बावजूद उसमें से भी वे चोरी करते है।

कई सरकारी लोग इस प्रकार की वेतन चोरी में हिस्सेदार बनते हैं और यदि उनका समर्थन नहीं मिले तो वेतन चोरी हो पाना बहुत मुश्किल है।

मजदूरों व कामगारों के लिए तय न्यूनतम वेतनमान समान प्रकृति के कार्य करने वाले सरकारी कर्मियों के वेतन का लगभग 1/3 या उससे भी कम होता है। और उसमें से भी यदि लोग चोरी करें और चोरी करवाएं तो यह कितना निंदनीय कृत है।

जिस व्यक्ति को सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन से भी कम वेतन मिल रहा हो वह कैसे अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करके उन्हें भारत का अच्छा नागरिक बना पाएगा?

जो लोग वेतन चोरी करते हैं और करवाते हैं दोनों को ही शर्म आनी चाहिए कि वे वास्तव में क्या कर रहे हैं? उन्हें इस प्रकार की घटिया हरकतें नहीं करनी चाहिए। और सिस्टम को भी चाहिए कि इस प्रकार के वेतन चोरी के मामले यदि सामने आते हैं तो उन्हें अत्यंत कड़ाई से डील किया जाए ताकि वेतन चोरी  करने वालों को सख्त से सख्त सबक मिले और मजदूरी का कार्य करने वाले लोगों को कम से कम न्यूनतम मजदूरी तो मिलना सुनिश्चित हो सके।

रघुवीर प्रसाद मीना

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