rpmwu286
16.11.2019
मनुष्य की श्रेणी।
मनुष्य को उसको कार्यकलापों के आधार पर निम्न तीन बड़े वर्गों में विभक्त किया जा सकता है -
#प्रथम ऐसे लोग जो कि स्वयं ती वजाय दूसरों के कल्याण के लिए बहुत अधिक कार्य करते हैं जैसे स्वामी विवेकानंद, विनोवा भावे, ज्योतिबा फुले, बिरसा मुंडा, महात्मा गांधी, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर, मदर टेरेसा व अनेक महापुरुष। ऐसे लोग लेते कम है और देते ज्यादा है।
#द्वितीय ऐसे लोग जो कार्य करते हैं और कार्य के बदले में मेहनताना या सैलरी अथवा रिम्यूनेरेशन लेते हैं। ये लोग जो कर रहे है उसके लिए प्रतिफल लेने की आकांक्षा रखते हैं।
#तृतीय वे लोग जो कार्य नहीं करते हैं और बिना कार्य पैसे प्राप्त करने की मंशा रखते हैं जैसे कि कामचोर, ठग, धोखेबाज, चोर, परजीवी इत्यादि।
व्यक्ति को स्वयं समझना होगा कि वह उक्त तीन में से किस श्रेणी में आता है। और किस श्रेणी में उसे होना चाहिए। यदि वह उचित श्रेणी में नहीं है तो अपने आप को क्रमोन्नत करने के लिए उसे अपनी कार्यशैली में बदलाव करना होगा। दूसरों के लिए नहीं तो कम से कम स्वयं की नजरों में क्रमोन्नत होने के लिए उसे प्रथम या द्वितीय श्रेणी में आने की कोशिश करनी चाहिए। किसी भी हालत में तृतीय श्रेणी में रहकर उसे जीवन व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
रघुवीर प्रसाद मीना
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