rpmwu279
07.11.2019
#DAP : जो जितने प्रदुषण में रहते है वे उतनी ही जल्दी परेशानी में पड़ते हैं।
यह सर्वविदित है कि जो व्यक्ति जितने प्रदूषण में रहेगा उसका स्वास्थ्य उतना ही खराब होने वाला है यह ना केवल जल, वायु व नॉइज पोलूशन के लिए सही है बल्कि धार्मिक अंधविश्वास की प्रदूषण (DAP) के लिए भी उतनी ही सही है। अतः जो भी लोग या समुदाय धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण में जितना ज्यादा डूबे रहेंगे उनकी सोच उतनी ही पीछे एवं प्रदूषित रहने वाली है। अतः धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण (DAP) से स्वयं को दूर रखें व दूसरों को भी दूर रहने की सलाह दी जाये।
व्यक्ति को कभी भी धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण (DAP) और नैतिकता को एक समझने की गलती नहीं करनी चाहिए। नैतिकता अलग चीज है और धार्मिक अंधविश्वास अलग।
व्यक्ति को नैतिक तो होना ही चाहिए। सबसे बड़ी नैतिकता यह है कि वह सही कार्य को करें जोकि अधिकतर लोगों के हित में हो और उस कार्य को अच्छी तरह संपादित करें, दूसरों के उत्थान के प्रति सोचे, पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाए, भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं हो इत्यादि। इन चीजों का धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण से कोई लेना देना नहीं है, ये नैतिक चीजें हैं जो कि व्यक्ति में होनी ही चाहिए। धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण से दूर रहने से व्यक्ति की सोच सही व वृहद् होगी।
रघुवीर प्रसाद मीना
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