rpmwu202
10.03.2019
सामान्यतः आरक्षित या कमजोर वर्ग के दो से अधिक लोग जब मिलते हैं या समाज की मीटिंगस् में इकट्ठे होते हैं तो स्वयं के समुदाय की उन्नति के बारे में तो बातें करते हैं। यह एक अच्छी बात है। इसके अलावा आवश्यकता है कि हम सब उन्नति की बातों के साथ साथ जो दूसरे लोग हैं, हम से आगे हैं, उनके प्रभावशाली लोगों के मन में आदिवासियों या आरक्षित वर्ग के लोगों के प्रति ऐसी भावना विकसित करें जिससे वे लोग कमजोर वर्ग के लोगों के हितों की बात करते समय मानवता के विकास के बारे में सोचें और एक अच्छे मनुष्य होने के परिचय देने का एहसास करें।
वास्तव में यदि देखा जाए तो जब संविधान का निर्माण हो रहा था उस समय महात्मा गांधी ने बहुत ही बड़ी समझदारी का परिचय दिया और कांग्रेस के बड़े नेताओं को इस बात के लिए राजी किया था कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्मात्री समिति में शामिल किया जाये। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो कमजोर वर्ग के हितों की रक्षा के लिए संविधान में जितने प्रावधान बनाए गए हैं वह नहीं बन पाते।
हमें इस दिशा में सोचना ही होगा कि कैसे आरक्षित या कमजोर वर्ग के लोग उन्नति करें और धीरे-धीरे देश की मेनस्ट्रीम में आये और उसके साथ इंटीग्रेट हो तथा स्वमं के विकास के साथ साथ देश की उन्नति में महत्वपूर्ण रोल अदा करें।
किसी भी हाल में समाजों को आपस में पृथक करने की फिलॉस्फी देश के लिए बेहतर नहीं हो सकती है। हम सभी मिलकर उन्नति करें और अग्रणी लोगों के मन में कमजोर वर्ग की उन्नति में मदद करने की विचारधारा को विकसित करें ताकि देश समग्र रूप से विकसित हो सके।
हमें किसी भी हाल में धर्म, जाति या समुदाय इत्यादि के आधार पर नागरिकों को पृथक नहीं करना चाहिए। हर संभव कोशिश करें कि हम लोगों को आपस में जोड़े और देश में एक ऐसा वातावरण बनाये जहां हर नागरिक का सम्मान हो और वह प्रसंता से दूसरों की मदद करें और समग्रता से उन्नति की राह पर अग्रसर हो।
रघुवीर प्रसाद मीना
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