rpmwu206
23.03.2019
आने वाले वर्षों में भारतवर्ष की परिकल्पना ही बदल सकती है। आज जो देश सेक्युलर है, सभी धर्म व जाति के लोगों के लिए समग्रता के विकास हेतु बना है। वह आने वाले समय यदि मंदिर, गाय, कुंभ, धार्मिक उन्माद की बात करने वालों की चली तो हो सकता है जैसे शहरों, स्टेशनों व गाड़ियों के नाम बदले गये हैं वैसे संविधान भी बदल दिया जाए और देश में रहने वाले विभिन्न जाति, धर्म और समुदाय के लोगों में इतनी दूरियां बढ़ जाए कि नागरिकों में अापस में भय व लडाई की स्थिति बनी रहे।
Idea of India की लड़ाई शुरू हो चुकी है।
एक ग्रुप देश में धर्म निरपेक्षता, सभी की समानता, सभी के अधिकार, सभी के सम्मान, सभी के उत्थान, सभी की भलाई की बात करता हैं।
दूसरा ग्रुप, कुछ लोगों के अधिकार, एक धर्म, धार्मिक अंधविश्वास को बढ़ावा देने व कमजोर वर्ग के हितों पर आये दिन कुठाराघात (, एससीएसटी एक्ट को कमजोर करने का प्रयास, 13 पाॅइन्ट रोस्टर या वन भूमि से बेदखली इत्यादि) कर रहा है।
यदि आने वाले चुनावों में हमने बहुत समझदारी से कार्य नहीं किया तो हम पाएंगे कि हमारे हितों के विरुद्ध कार्य करने वाले लोगों को हम मजबूत कर देगें। अतः बहुत सोच समझकर निर्णय ले और निर्भिक होकर निडरता से सही लोगों को मतदान करें।
रघुवीर प्रसाद मीना
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