Sunday 14 August 2016

70 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लोकतंत्र में देश के सभी नागरिको की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु उचित एवम सार्थक कदम उठाने की सख्त आवश्यकता है|

हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजो की हुकूमत से आजाद हुआ एवम अभी हाल में दिनांक 15 अगस्त 2016 को हमने 70 वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाया हैं । आज से 70 साल पहले देश में इम्पीरियल शासन व्यवस्था की जगह लोकतंत्र की स्थापना हुई। जब देश आजाद हुआ था तो यह माना जा रहा था कि शासन व सरकार के संचालन में लोकतंत्र आने से हर वर्ग, समुदाय, जाति और धर्म के जो भी लोग भारत में रहेंगे उनकी हिस्सेदारी होगी एवमं देश की आम जनता के लिए खुशहाली व समृद्धि आएगी एवं उनकी भाभी पीढ़ियों का भविष्य बेहतर होगा। देश के आजाद होने पर लोगों की स्थिति में सुधार हुआ परंतु यह देखा गया हैं कि कुछ वर्ग के लोगों की स्थिति तो पहले की तुलना में बहुत अधिक अच्छी हो गई हैं परंतु देश की बहुत बड़ी जनसंख्या की स्थिति मैं वांछित सुधार अभी 70 वर्षों के बाद भी नहीं हुआ है। प्रजातंत्र भी सही मायने में पूरी तरह से सरकार के हर क्षेत्र में लागू नहीं हुआ है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व पिछड़े वर्ग के लोगों का प्रतिनिधित्व शासन व प्रशासन दोनों के ही महत्वपूर्ण पदों पर लगभग नगण्य है। इसका मतलब ये हुआ कि 70 वर्ष के बाद भी इन वर्गो को प्रजातंत्र मैं उनका स्थान नहीं मिल पाया है। यह एक अति संवेदनशील मुद्दा है जिसे शासन व सरकार में उच्च पदों पर आसीन गणमान्य व्यक्तियों को समझना होगा एवं जल्द से जल्द इसके उपाय ढूंढने होंगे।


प्रजातंत्र को सरलता से समझने के लिए मानो की एक खेत में सिंचाई की जा रही है खेत एकदम समतल नहीं है कहीं ऊंचा है कहीं नीचा है। यदि साधारण तरीके से सिचाई की जाएगी तो जहां नीचा है वहां पानी बहुत अधिक इकठ्ठा हो जाएगा एवं जहां ऊंची जगह है वहां पानी पहुंच ही नहीं पाएगा। यही सिद्धान्त प्रजातंत्र को लागू करने के लिए समझना होगा। जिन लोगों तक प्रजातंत्र नहीं पहुंच पा रहा है उनके लिए विशेष उपाय करके प्रजातंत्र को पहुंचाना होगा ताकि देश की संपूर्ण जनसंख्या तक प्रजातंत्र पहुंच पाएँ। यही प्रजातंत्र की असली भावना है। जब प्रजातंत्र हर वर्ग, जाति, समुदाय व धर्म के लोगों का उनकी जनसंख्या के अनुसार समानुपातिक रिप्रजेंटेशन करवाने लगे तब ही माना जाएगा कि वास्तव में प्रजातंत्र स्थापित हो गया है। अन्यथा प्रजातंत्र केवल और केवल उन लोगों के लिए ही व्यवस्था है जो कि सामर्थ्य व् ताकतवर हैं एवमं गरीब व् कमजोर वर्ग के लोगों के लिए इसका कोई विशेष महत्व नहीं है । आजादी के 70 साल बाद तो देश के हर वर्ग,जाति, समुदाय व धर्म के लोगों को सरकार के हर स्तर पर खासकर “महत्वपूर्ण की पदों” पर समानुपातिक रिप्रजेंटेशन दिलवाने के लिए ठोस कदम उठाने की सख्त आवश्यकता हैं।


राज्यसभा, हायर ज्यूडिशरी, गवर्नर्स की नियुक्ति, सरकार के मंत्री, विभिन्न विभागों के की पदों, महाविद्यालयों की फैकल्टी इत्यादि में हर वर्ग,जाति, समुदाय व धर्म के लोगों का समानुपातिक रिप्रजेंटेशन होना चहिये। ऐसा करना ही वास्तव में स्वतंत्रता दिवस मनाने के हमारे मकसद को सफल बनाएगा।  


जय हिंद।

रघुवीर प्रसाद मीना

No comments:

Post a Comment

Thank you for reading and commenting.