Tuesday 13 July 2021

अपने मष्तिष्क को तिजोरी की तरह प्रयोग में ले न कि डस्टबीन की भांति।

rpmwu413 dt.13.07.21

#Life_lesson व्यक्ति यदि उसके मन मष्तिष्क में लम्बे समय तक क्रोध, घृणा, ईर्ष्या, बदले की भावना, दूसरों को दूखी करने की सोच, संकुचित व दकियानूसी विचारधारा या धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण (#DAP) जैसे नकारात्मक भाव रखता है तो वे डस्टबीन में रखे कचरे के समान सड़ने लगते है जिनकी बदबू उसके व्यक्तित्व व व्यवहार में परिलक्षित होती है। ऐसे लोग स्वयं को ही सबसे अधिक नुकसान करते है और दूसरों के प्रति भी उनका नजरिया संकीर्ण हो जाता है। अत: अपने मन मष्तिष्क में नकारात्मक भावों को लम्बे समय तक नहीं रहने दिया जाये।

व्यक्ति को मन में हमेशा दूसरों के प्रति सद्भाव, सहयोग तथा कल्याण की सोच रखनी चाहिए। आप 2 उन घटनाओं को याद करो जब आपके साथ किसी ने अच्छा व्यवहार किया हो या आपकी सहायता की हो एवं इसी तरह 2 उन अवसरों को याद करो जब आपने दूसरों की मदद की हो। ये दोनों स्थितियां आपको प्रसन्नता प्रदान करेंगी। इनके विपरीत नुकसान करने की घटनाओं की याद आपके मन को क्षुब्ध कर देगी।

हमेशा याद रखे कि हमारा मष्तिष्क कचरे रखने वाली डस्टबीन नहीं है। उसे अच्छे सद्विचार व सद्भाव विकसित करने की तिजोरी की रूप में काम में ले।

सादर
रघुवीर प्रसाद मीना

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