Monday 12 July 2021

उतना ही ले थाली में, व्यर्थ न जाये नाली में। अन्न का आदर करें, बर्बाद नहीं करें।

         rpmwu412 dt.12.07.2021

#Life_lesson अन्न उत्पन्न करने में बहुत अधिक मेहनत व संसाधन खर्च होते है। पता होना चाहिए कि #1_किलो_गेहूं पैदा करने में लगभग #800_लीटर_पानी खर्च होता है। राजस्थान में एक बीघा भूमि का आकार 165 फीट x 165 फीट यानी 27225 वर्गफीट अर्थात 3025 वर्गगज या 2529.285 वर्गमीटर होता है। गेहूं पैदा करने के लिए खेत की न्यूनतम 5 बार सिंचाई करनी पड़ती है। एक बार की सिंचाई में 3 इंच पानी की आवश्यकता को समझे तो एक बीघा में गेहूं पैदा करने के लिए 5 बार सिंचाई हेतु 9.64 लाख लीटर पानी की जरूरत रहती है और पैदावार होती है लगभग 30 मण यानी 1200 किलो। इन आंकड़ों से प्रति किलो गेहूं के लिए 803 लीटर पानी की आवश्यकता निकलती है। जहां पैदावार कम या ज्यादा है ये आंकड़ा तदनुसार बदल सकता है। इसके अलावा खेतो की जुताई का खर्च, खाद (देशी, डीएपी व यूरिया), बीज, किसान की मेहनत, मजदूरों की लागत व ओले, टिड्डी इत्यादि का रिस्क अलग है। 

दूसरी ओर संसार में अाज भी अनेकों लोगों को दिन में भरपेट खाना नहीं मिलता है।

हर समझदार व्यक्ति को चाहिए कि खाने को बिलकुल भी बर्बाद नहीं करें। जितना चाहिए थाली में उतना ही ले। अनावश्यक खाने से भी व्यक्ति बीमारियों से ग्रसित होता है, खाने के साथ दवाईयों पर बेवजह खर्च करना पड़ता है।

सादर
Raghuveer Prasad Meena


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