rpmwu331
04.04.2020
धर्म से व्यक्ति को अच्छा चरित्र, दूसरों के हक व स्वतंत्रता का सम्मान करना, कमजोर की सहायता करना व मानवीय पहलूओं पर खरा उतरना सिखना चाहिए।
जबकि धर्मांधता में डूबे लोग मानसिक रूप से कम विकसित होने के कारण वे दूसरे धर्मों से घृणा, जाति समुदाय के आधार पर ऊंच-नीच, दूसरों को नुकसान पहुंचाना और स्वयं के धर्म की हर गलत चीज को सही समझते है।
निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के लोग या देश में लाॅकडाऊन होने पर मंदिरों में कार्यक्रम आयोजित करने वाले सभी लोग धर्मांधता में डूबे हुए हैं।
धर्मांधता या धार्मिक अंधविश्वास का प्रदूषण (#DAP) एक बिमारी की तरह है। इसका ईलाज जरूरी है।
रघुवीर प्रसाद मीना
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