rpmwu338 dt. 26.04.2020
वैसे तो खबर पुरानी है परन्तु माननीय उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालयों के सम्बन्ध में तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री द्वारा कही गई बातें एकदम सही है। इन पर सुधारात्मक कार्यवाही की जरूरत है।
#दीपक_तले_अंधेरा, एक पुरानी और प्रचलित कहावत है। वास्तव में इसमें दीपक की गलती नहीं है, बनावट व आकार के कारण ऐसा होता है कि प्रकाश दूर तो चला जाता है परन्तु दीपक के आसपास प्रकाश नहीं पहुंच पाने के कारण अंधेरा ही रह जाता है। ऐसी स्थिति में दीपक के आसपास उजाला करने के लिए आवश्यकता है कि किसी अन्य बाहरी स्त्रोत द्वारा वहां प्रकाश पहुंचाया जाएं।
उपरोक्त के मद्देनज़र संसद का चाहिये कि माननीय उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति के सम्बन्ध में एक नई पारदर्शी प्रक्रिया बनाकर उसकी अनुपालना करवायें। हम सभी को चाहिए कि इस बात को अपनी-अपनी पहुंच व पोजिशन के अनुसार आगे बढ़ाये।
रघुवीर प्रसाद मीना
यह सभी को विधिक हैं कि जुडीशरी मैं एक वर्ग विशेष के लोगों का वर्चव हैं । यदि ईस परीपेक्ष मे नियुक्ति के लिए नई प्रकिया बनती हैं तो इसमें राजनैतिक दखलंदाजी की पोसिविलटीज की समभावना अधिक रहेगी जो जयादा हानिकारक होगी ।
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