Saturday 11 April 2020

11 अप्रेल : महात्मा ज्योतिराव फुले की जन्म जयंती के अवसर पर उन्हें शत-शत नमन।


rpmwu332 Dt. 11.04.2020
ज्योतिराव गोविंदराव फुले (जन्म - 11 अप्रैल 1827 , मृत्यु - 28 नवम्बर 1890) एक भारतीय समाजसुधारक, समाज प्रबोधक, विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे। इन्हें 'महात्मा फुले' एवं 'जोतिबा फुले' के नाम से जाना जाता है। महात्मा फुले जाति से माली थे । सितम्बर 1873 में इन्होने महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाज नामक संस्था का गठन किया। महिलाओं व दलितों के उत्थान के लिए इन्होंने अनेक अभूतपूर्व कार्य किए। समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समथर्क थे। वे भारतीय समाज में प्रचलित जाति पर आधारित विभाजन और भेदभाव के विरुद्ध थे।
महात्मा जोतिराव गोविंदराव फुले
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जन्म11 अप्रैल 1827
खानवाडीपुणेब्रिटिश भारत (अब महाराष्ट्र में)
मृत्यु28 नवम्बर 1890 (उम्र 63)
पुणे, ब्रिटिश भारत
अन्य नाममहात्मा फुले/जोतिबा फुले/ जोतिराव फुले
धार्मिक मान्यतासत्य शोधक समाज
जीवनसाथीसावित्रीबाई फुले
हमारे देश में 19 वीं सदी में स्त्रीयों को शिक्षा नहीं दी जाती थी। वे हर प्रकार के अधिकार से वंचित रहती थी। स्त्रियों की तत्कालीन दयनीय स्थिति से महात्मा फुले जी बहुत व्याकुल और दुखी होते थे। इसलिए उन्होंने दृढ़ निश्चय किया कि वे समाज में क्रांतिकारी बदल लाकर ही रहेंगे। उन्होंने अपनी धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले जी को स्वयं शिक्षा प्रदान की। सावित्रीबाई फुले जी भारत की प्रथम महिला अध्यापिका थी। महात्मा फुले स्त्री पुरूष भेदभाव को समाप्त करना चाहते थे। उनका मूल उद्देश्य स्त्रीयों को शिक्षा का अधिकार प्रदान कराना, बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह का समर्थनविधवाओं के मुड़न का विरोध करना रहा है। महात्मा फुले समाज की कुप्रथा, अंधश्रद्धा के जाल से समाज को मुक्त करना चाहते थे। अपना सम्पूर्ण जीवन उन्होंने स्त्रीयों को शिक्षा प्रदान कराने में, स्त्रीयों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में व्यतीत किया।  उन्होंने कन्याओं के लिए भारत देश की पहिली पाठशाला पुणे में बनाई।  

आधुनिक भारत में शूद्रों-अतिशूद्रों, महिलाओं और किसानों के मुक्ति-संघर्ष के पहले नायक जोतीराव को बाबासाहब डाॅ भीमराव अम्बेडकर ने गौतम बुद्ध और कबीर के साथ अपना तीसरा गुरु माना है। 

19 वीं सदी में जातिप्रथा के विरुद्ध, महिलाओं को अधिकार दिलाने के लिए तथा किसानों को अंधविश्वास से मुक्ति दिलाने हेतु जिस महापुरुष महात्मा ज्योतिराव फुले ने समाज सेवा की मिसाल कायम की उनके द्वारा समाज को दिखाई गई दिशा में अभी भी कार्य करना शेष है। आओ हम उनकी जन्म जयंती पर अपने आप से वायदा करें कि उनके सपने को साकार करने हेतु सम्पूर्ण लगन, उत्साह व मेहनत से काम करें। भारत एक खोज के इस अंश को अवश्य देखें। 

https://youtu.be/TPiab336g4w

रघुवीर प्रसाद मीना 

4 comments:

  1. आपके विचार एक दिन समाज में नयी चेतना जरूर लायेंगे।

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  2. अति उत्तम एवम् बेहतरीन विचार। सचमुच ऐसे महापुरषों की जीवन गाथा का वर्णन अत्यंत प्रेरणास्पद,अनुकरणीय और बेहतरीन उदाहरण है।

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  3. प्रेरणादायी !

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  4. महान विचारक, समाज सुधारक लेखक एवं दार्शनिक महात्मा ज्योतिबा फुले जी की जयंती पर उन्हें कोटिशः बंदन।
    अति उत्तम एवम बेहतरीन विचार श्री मान जी आपके।सचमुच ऐसे महापुरुषों की जीवन गाथा का वर्णन अत्यंत प्रेरणास्पद, अनुकरणीय और सभी समाजों के लिए बेहतरीन उदाहरण हैं।

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Thank you for reading and commenting.