Wednesday 29 April 2020

रिजर्वेशन के स्थान पर रिप्रजेंटेशन, ज्यादा उचित, सम्मानजनक और अधिकार दिलाने वाले शब्द की मांग करने का वक्त आ गया है।

rpmwu340 dt. 29.04.2020

आजकल आए दिन माननीय न्यायालयों के न्यायाधीश , अखबार के सम्पादक  व मीडिया से जुड़े पत्रकार आरक्षण (रिजर्वेशन) की समीक्षा के बारे में कहते हुए ऐसा प्रतीत कराते हैं जैसे कि रिजर्वेशन भीख में दी हुई कोई वस्तु है और देश की सभी समस्याओं की जड़ रिजर्वेशन ही हैै। जिन दकियानूसी सोच वाले अविवेकशील लोगों को यह समझ नहीं आ रहा है कि रिजर्वेशन देश में सभी जाति और समुदाय के लोगों को समानता के स्तर पर लाने का एक सिद्ध कारगर उपाय है उन्हें इस बात पर विचार करना चाहिए कि जिस प्रकार घर में सभी बहन भाइयों का समान अधिकार होता है उसी तरह देश में रहने वाले सभी जाति, धर्म, संप्रदाय व समुदाय के नागरिकों का भी देश संचालन व रिसोर्सेज में समान अधिकार होना चाहिए। जिन समुदायों के नागरिक विकास के स्तर में पीछे रह गयेेे, उसका मूल कारण क्या रहे है। महाभारत के काल सेे ही एकलव्य व कर्ण को शिक्षा व सम्मान और वीरता के प्रदर्शन से वंचित रखने का प्रयास किसने किया? अछूतों को पढ़ने लिखने से किसने रोका? वर्ण व्यवस्था ने अनगिनत लोगों के सम्मान को गहरी ठेस पहुंचाई या नहीं? 

देश के संविधान की मूल भावना है कि देश के हर जाति, धर्म, संप्रदाय व समुदाय के नाागरिक आगे बढ़े और देश के विकास में भागीदार रहे तथा सभी का देश के रिसोर्सेज पर समान रूप से अधिकार है। इसी भावना के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए जिन लोगों का भूतकाल में वर्ण व्यवस्था या उनके स्थानीय होनेे या अन्य कारणों से शोषण व अत्याचार हुआ है, उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए रिजर्वेशन मुहैया कराया गया। 

कई लोग कहते हैं कि रिजर्वेशन के प्रावधान से गुणवत्ता खराब हो रही है एवं मेरिट का कोई महत्व नहीं रह गया है। ऐसे सभी लोगों को एकलव्य व कर्ण की मेरिट याद नहीं आती है। वे ये भी भूल जाते है कि भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था उससे पूर्व जब विदेशी आक्रांताओ ने भारत को लूटा और शासन किया तब किसी भी प्रकार का रिजर्वेशन नहीं था, फिर भी देश और नागरिकों के साथ क्या क्या नहीं हुआ? 

आजादी से पूर्व जब हमारे देश में अंग्रेजों का राज था तो उस समय अंग्रेज हमारे यहां के स्थानीय लोगों से हर प्रकार से मेरिट में अब्बल थे, तो क्या मेरिट में अब्बल होने वाले लोगों को राज करने देना चाहिए था? और आज भी बहुत सारे देश ऐसे हैं जो हमारे देश की तुलना में तकनीकी, विज्ञान, अनुसंधान व अनेकों भौतिक वस्तुओं और सुुख सुुविधाओं में आगे हैं, तो क्या ऐसी स्थिति में उनको कॉन्ट्रैक्ट देकर सरकार चलाने दे दिया जाना चाहिए? 

वास्तव में जरूरत है कि देश में रहने वाले सभी जाति, धर्म, संप्रदाय व समुदाय के लोगों का महत्वपूर्ण जगहों पर रिप्रेजेंटेशन होना चाहिए। यही सुनिश्चित करने के लिए रिजर्वेशन की अवधारणा बनाई गई कि कम से कम एक न्यूनतम निर्धारित प्रतिशत रिप्रेजेंटेशन तो रिजर्वेशन के माध्यम से सुनिश्चित किया ही किया जाए। अब समय को देखते हुए रिजर्वेशन के स्थान पर जो एकदम उचित शब्द है रिप्रेजेंटेशन उसकी बात करनी चाहिए। हर जाति, धर्म, सम्प्रदाय व समुदाय के लोगों का उनकी जनसंख्या के अनुपात में न्यायपालिका, कार्यपालिका व सरकार की प्रत्येक अथॉरिटी एवं रिसोर्सेज पर हक होना चाहिए।

समझदार लोगों को  1) राज्यसभा, 2) उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्तियों 3) मंत्रियों के सलेेक्शन 4) सरकार के प्रत्येक विभाग की "की" पोस्टस् की नियुुुक्तियों 5) प्राइवेट क्षेत्र के हर स्तर के रोजगारों मेंं जनसंख्या के आधार पर रिप्रजेंटेशन की बात करनी चाहिए। 

रघुवीर प्रसाद मीना 

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