Thursday 25 July 2019

प्राईवेटाइजेशन_Vs_सरकारी

rpmwu248
24.07.2019

प्राईवेटाइजेशन_Vs_सरकारी

सरकारी संस्थाओं का प्राइवेटाइजेशन छोटी ग्रेड की नौकरी लगने वाले बेरोजगारों के लि‍ए वास्तव में अशुभ समाचार है। सरकार में कार्यरत ग्रुप डी के कर्मचारियों को जो वर्तमान में वेतन व अन्य सुविधाएं मिलती है उससे प्राइवेट कार्य करने वाले लोगों को करीब एक तिहाई ही वेतन मिलता है और कोई जाॅब सिक्योरिटी भी नहीं होती है। ऐसे में क्या प्राइवेट कार्य करने वाले लोग उनके बच्चों को अच्छी पढ़ाई करवा सकेगें? क्या उन्हें पोष्टिक भोजन खिला सकेगें? क्या छोटा प्राइवेट कार्य करने वाले लोगों के बच्चों को अच्छा भारतीय नागरिक नहीं बनना चाहिए? क्या शहरों में एक इंसान की तरह रह पाएंगे? 

नियमित सरकारी कार्यो की आऊटसोर्सिंग करना एवं सरकारी संस्थाओं का प्राइवेटाइजेशन करना देश के युवाओं के हित में नहीं है। अत: सभी जिम्मेदार प्राधिकारियों को इस विषय की गंभीरता से समीक्षा करनी चाहिए और जो सरकारी कर्मचारी काम नहीं करते है उनके विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए परन्तु काम नहीं करने की बात पर जो लोग अभी सरकारी जाॅब में है ही नहीं, उनके रास्ते बंद करना उचित नहीं है।
रघुवीर प्रसाद मीना

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