rpmwu247
21.07.2019
#हम्पी_किष्किन्धा
आज दक्षिण पश्चिम रेलवे में कार्यरत साथियों के साथ हम्पी क्षेत्र, जिसे पहले किष्किन्धा के नाम से जाना जाता था, में पिकनिक स्वरूप आउटिंग की। वहां की चीजों को देखकर लगा कि वास्तव में भारत पहले कला के क्षेत्र में बहुत ही अग्रणी व धनाढ्य था। लोगों में गजब की स्किल व मेहनत करने का जज्बा रहा होगा। परन्तु धीरे धीरे कला विलुप्त होती गई। इसके पीछे मुख्य कारणों में से एक कलाकारों व काम करने वालों का समाज में कम मान सम्मान होना भी किसी हद तक रहा है। आज देश में स्किल इतनी कम हो गई कि प्रधानमंत्री को स्किल इंडिया पर विशेष बल देना पड़ रहा है। यदि देश में स्किल बढ़ानी है तो काम करने वालों का समाज में उचित मान सम्मान करना होगा व उन्हें अच्छा मानदेय देना होगा।
किष्किन्धा आज जो हम्पी है, वाल्मीकि रामायण में पहले बाली तथा उसके पश्चात् सुग्रीव का राज्य बताया गया है।
आज के संदर्भ में यह राज्य तुंगभद्रा नदी के किनारे वाले कर्नाटक के हम्पी शहर के आस-पास के इलाके में माना गया है। रामायण के काल में विन्ध्याचल पर्वत माला से लेकर पूरे भारतीय प्रायद्वीप में एक घना वन फैला हुआ था जिसका नाम था दण्डक वन। उसी वन में यह राज्य था। इसी क्षेत्र में अंजना पर्वत पर हनुमान जी का जन्म होना बताया जाता है।
आज के संदर्भ में यह राज्य तुंगभद्रा नदी के किनारे वाले कर्नाटक के हम्पी शहर के आस-पास के इलाके में माना गया है। रामायण के काल में विन्ध्याचल पर्वत माला से लेकर पूरे भारतीय प्रायद्वीप में एक घना वन फैला हुआ था जिसका नाम था दण्डक वन। उसी वन में यह राज्य था। इसी क्षेत्र में अंजना पर्वत पर हनुमान जी का जन्म होना बताया जाता है।
हम्पी मध्यकालीन हिंदू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी। यह तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित है और अब केवल खंडहरों के रूप में ही अवशेष है। इन्हें देखने से प्रतीत होता है कि किसी समय में यहाँ एक समृद्धशाली सभ्यता निवास करती होगी। भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित यह नगर यूनेस्को के विश्व के विरासत स्थलों में शामिल किया गया है। हर साल यहाँ हज़ारों की संख्या में पर्यटक और तीर्थयात्री आते हैं। हम्पी का विशाल फैलाव गोल चट्टानों के टीलों में विस्तृत है। घाटियों और टीलों के बीच पाँच सौ से भी अधिक स्मारक चिह्न हैं। इनमें मंदिर, महल, तहख़ाने, जल-खंडहर, पुराने बाज़ार, शाही मंडप, गढ़, चबूतरे, राजकोष आदि असंख्य इमारतें हैं।
वास्तव में देखने योग्य जगह है। जिन साथियों ने समय निकालकर मेरी यात्रा को सहज व सुखद बनाया, उन्हें बहुत बहुत धन्यवाद।
रघुवीर प्रसाद मीना
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