rpmwu243
20190708
गांव में चाय पीने की जगह होती है, ताश खेलने की जगह होती है, हुक्का पीने के लिए जगह होती है, पूजापाठ के लिए मंदिर होते हैं परंतु पढ़ने के लिए कोई सार्वजनिक जगह नहीं होती है। गांव में बच्चे उनके घरों पर विभिन्न प्रकार के व्यवधानों के बीच बड़ी मुश्किल से पढ़ाई कर पाते है।
आज के समय में यदि सबसे ज्यादा जरूरत है तो वह गांव में पढ़ने की जगह बनाने की है। हम लोग मंदिर, कथा, भागवत, पदयात्रा इत्यादि पर जो खर्च करते हैं यदि इनके स्थान पर गांवों में वातानुकूलित अध्ययन केंद्र जिसमें लाइब्रेरी और बच्चों को बैठ कर पढ़ने का एक माहौल बनाये तो मुझे लगता है कि गांव में रहने वाले बच्चों की ज्यादा तरक्की होगी। ऐसा होने से देश के विकास में इस प्रकार के अध्ययन केंद्र बहुत अधिक लाभकारी साबित होंगे।
आओ प्रण करें कि हम अपने पैसे को धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषणो (DAP) के स्थान पर अध्ययन केंद्र बनाने में इन्वेस्ट करें ताकि भावी पीढ़ियों को इनका लाभ मिल सके और देश के विकास की गति तेज हो सके। प्रधानमंत्री जी का नारा जय जवान, जय किसान से साथ जय विज्ञान और जय अनुसंधान साकार हो सके।
सांसद, विधायक व अन्य जन प्रतिनिधि भी उनके व सीएसआर के फंड से अध्ययन केन्द्र बनवाये।
रघुवीर प्रसाद मीना
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