rpmwu104
16.12.2016
लोग मानते हैं माइट इज राइट Might is Right जबकि वास्तव में होता है Right is Might.
जब कोई बड़ा व्यक्ति किसी साधारण व्यक्ति के साथ गलत कर देता है और गलत करने वाले का काफी दिनों तक नुकसान नहीं होता है तो अक्सर लोग कहते हैं कि Might is Right अर्थात् जिसकी लाठी उसकी भैंस।
गहराई से यदि सोचें तो पता चलता है कि वास्तविकता इसके विपरीत है। यानि यदि बात सही है तो उसमें बहुत ताकत होती है और अन्ततः सही बात की ही विजय होती है। रामायण, महाभारत या अन्य धर्म शास्त्रों को देखें तो हमेशा सही की जीत ही दर्शायी गई है। सही पर लड़ने वाले चरित्र हमेशा कमजोर व दुर्बल थे जबकि जो गलत थे व जिनके साथ लड़ाई की गई वे बहुत शक्तिशाली होने के बावजूद भी गलती पर होने के कारण अन्ततः हार गये। रामायण में राम के पास रावण की तुलना में बहुत कम संसाधन व शक्तिबल था, फिर भी राम की विजय हुई। इसी प्रकार महाभारत में कौरवों की अपेक्षा पांड्वों के पास कुछ भी नहीं था फिर भी सही पर होने के कारण उनकी विजय हुई।
बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर ने जब अस्पृश्यता के विरूध जंग छेड़ी थी तो उस समय उनका मुद्दा सही था और अस्पृश्यता करने वाले गलत थे। बाबा साहब व उनके सहयोगी हर प्रकार से कमजोर थे परन्तु मुद्दा सही होने के कारण वे अस्पृश्यता करने वाले ताकतवर व प्रभावी लोगों से भी लड़ाई में जीते और अन्ततः संविधान के माध्यम से अस्पृश्यता को समाप्त किया गया।
उक्त विवेचना के मद्देनजर यह बात स्पष्ट रूप से समझ लेनी चाहिए कि यदि विषय या मुद्दा सही है या जनहित का है तो उसकी जीत अवश्य ही होगी, विरोधियों की ताकत से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। सही व जनहित के कार्यों के लिए गलत करने वाले ताकतवर लोगों से भी लड़ा जा सकता है। अन्ततः विजय सही मुद्दे पर लड़ने वाले व्यक्ति की ही सुनिश्चित है।
रघुवीर प्रसाद मीना
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