Tuesday 13 December 2016

सब-स्टैडर्ड क्वालिटी या खराब कार्यो को स्वीकार करना प्रदर्शित करता है कि या तो व्यक्ति के ज्ञान में कमी है या फिर उसका चरित्र कमजोर है। It reflects bad on the character of the person accepting the poor or sub-standard quality.

rpmwu101
09.12.2016
सब-स्टैडर्ड क्वालिटी या खराब कार्यो को स्वीकार करना प्रदर्शित करता है कि या तो व्यक्ति के ज्ञान में कमी है या फिर उसका चरित्र कमजोर है। It reflects bad on the character of the person accepting the poor or sub-standard quality.

हमारे देश में बनी चीजों की क्वालिटी या फिनिशिंग उतनी अच्छी नहीं होती है जितनी विदेशों में बनी चीजों की होती है। हमारे देश में आदत सी बन गई है कि हम सब-स्टैडर्ड चीजो को भी बिना ज्यादा प्रतिरोध के स्वीकार कर लेते है, लोगो से और बेहतर क्वालिटी देने की अपेक्षा ही नहीं करते है।

उत्पाद या कार्य की खराब क्वालिटी के लिये कार्य करने वालों से ज्यादा जिम्मेदार उसे स्वीकार करने वाले होते है। यदि किसी कर्मचारी द्वारा किया गया कार्य खराब गुणवत्ता का है और निरीक्षण करने वाला पर्यवेक्षक उसकी गुणवत्ता पर ध्यान दिये बिना उसे स्वीकार कर लेता है तो यह निश्चित है कि उस कर्मचारी के कार्य की गुणवत्ता में कभी भी सुधार नहीं होगा। इसी प्रकार यदि ठेकेदार द्वारा किये गये कार्य की गुणवत्ता खराब है और जाँच करने वाला निरीक्षक अज्ञानता या प्रलोभन वश उसे स्वीकार कर लेता है तो कार्य की गुणवत्ता में सुधार की सम्भावना बहुत कम रहती है।

अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों की जिम्मेदारी बनती है कि वे खराब व सब-स्टैडर्ड कार्य को स्वीकार करना कम कर दे और कालान्तर में बंद ही कर दे। स्वयं व अधिनस्त कार्य करने वाले लोगों के ज्ञान व कौशल में सुधार किया जाये। लौभ-लालच को कम करे व ठेके पर होने वाले कार्यो की गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार करवायें।

उत्पाद व कार्यो की गुणवत्ता में सुधार करने हेतु निम्नलिखित बातें काफी सहायक हो सकते है-
1. व्यक्ति की छवि - लोगो को लगना चाहिये कि आप खराब गुणवत्ता के उत्पाद या कार्य स्वीकार ही नहीं करते है।
2. जैसा आप चाहते है, इच्छा करते है उसके बारे में कार्य करने वालों को स्पष्ट दिशानिर्देश दे दिये जाये।
3. कार्य करने के लिये आवश्यक संसाधन मुहैया करवाये जाये।
4. खराब कार्य करने वालों को प्रशिक्षण व अच्छा कार्य करने वालों को प्रोत्साहन दिया जाये।
5. ठेके पर कराये जाने वाले कार्यो को भी समझदारी से करवाया जाये, बेबजह न तो ठेकेदार को परेशान करे और न ही खराब गुणवत्ता स्वीकार करे। लिखित में नियमित कार्यवाही की जाये।

रघुवीर प्रसाद मीना

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