Tuesday 13 December 2016

गजब की बिडम्वना - गरीब या साधारण परिवार से आने वाले लोग उनके जैसे या कमजोर लोगो पर ही जोर चलाते है।

rpmwu102
10.12.2016
गजब की बिडम्वना - गरीब या साधारण परिवार से आने वाले लोग उनके जैसे या कमजोर लोगो पर ही जोर चलाते है।

कल बिहार के भागलपुर में गरीब व कमजोर वर्ग की महिलाओं व पुरूषों पर लाठीचार्ज के दौरान पुलिस ने भयंकर त्रासदी बरती। आये दिन देखने में आता है कि पुलिस वाले मोटर साईकिल, स्कूटर, स्कूटी, अन्य छोटे वाहन या लोडिंग वाहन वालो को रोड पर रोक कर जाँच करती रहती है एवं छोटी मोटी गलती होने पर भी बिना चालान के नहीं छोडती है। दूसरी ओर बडे व महँगे वाहन वालो को वह सामान्यत: तो रोकती ही नहीं है और यदि रोक लेती है तो किसी प्रभावकारी व्यक्ति से फोन आने पर बिना चालान छोड देती है।

यह हाल पुलिस का ही नहीं वरन् सभी विभागों का ही है। जब कोई बडा आदमी किसी कार्यालय में जाता है तो उस पर समय इत्यादि के कोई नियम नहीं लगते है जबकि गरीब व कमजोर पर हर नियम लागू किये जाते है। उनके लिए मिलने का समय निर्धारित होता है, जबकि बडों के लिए ऐसा नहीं होता है। बडे व्यक्ति को छोटीमोटी फीस देने की भी जरूरत नहीं होती है, कहते सहाब आप रहने दो आप से कोई फीस लेगें क्या? जबकि छोटे लोगो से 5 या 10 रू लेना भी नितान्त आवश्यक समझा जाता है।

अब सोचो ऐसा कौन कर रहा है? अधिकतर वे ही लोग कर रहे है जो गरीब या साधारण परिवार से आते है। ऐसे लोगो को गरीब, कमजोर व पिछड़ों की मदद करनी चाहिये परन्तु वे ऐसा नहीं करके विपरीत करते है। यह गंभीर विचारणीय बिन्दु है जिस पर हम सभी को सोचना होगा एवम् अपनी कार्य शैली में बदलाव करके बडों के साथ साथ गरीब, कमजोर व पिछडो की मदद करनी चाहिये, उन पर अत्याचार तो कदापी नहीं करना चाहिये।

रघुवीर प्रसाद मीना

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