rpmwu81
06.09.2016
सरकार संसाधनों के उपयोग की दिशा उसी प्रकार मोड़ सकती है जैसे डैम बनाकर पानी के बहाव को मोड़ देती है। जनता को निर्वाचित प्रत्याशी व चुनी हुई सरकार का सम्मान करना चाहिए एवं उनसे काम करवाने में ही समझदारी है।
हम सभी जानते हैं कि नदियों पर डैम बनाकर सरकार पानी के बहाव की दिशा को बदल सकती है एवम ऐसे क्षेत्रों में पानी पहुँचा सकती है जहाँ पर पानी की कमी रही है तथा उससे उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों की आर्थिक सम्पन्नता बहुत अच्छी हो सकती है। सरकार ने ऐसा कई स्थानों पर किया है। और संसाधनों के साथ भी सरकार ऐसा ही कर सकती है। भारत सरकार का बजट लगभग 20 लाख करोड़ रूपये का होता है। जिसके अन्तर्गत नीतियां बनाकर सरकार विभिन्न क्षेत्रों के उत्थान व उन्नति के लिए प्रयास करती है।
यह जनता के ऊपर है कि क्षेत्र विशेष या समाज विशेष के लोग सरकार से किस प्रकार अधिक से अधिक लाभान्वित होने हेतु सार्थक रूप से आवाज उठाते है और सरकारी संसाधनों के उपयोग से अपने क्षेत्र व समाज की उन्नति करवायें। कई लोग ऐसे होते हैं कि चुनावों में जिसको वोट दिए है वह प्रत्याशी हार जाता है तो जीतने वाले निर्वाचित प्रत्याशी अथवा सरकार से कभी काम कराने की मंशा ही नहीं रखते हैं। प्रजातंत्र में लोगों की यह सोच सही नहीं है। प्रजातंत्र में मतदान से प्रत्याशी को निर्वाचित करना एक सामान्य प्रक्रिया है। जिसे 100 में से 51 वोट मिल जाते हैं, वह चुनाव जीत जाता है और जिसे 49 वोट मिलते हैं वह हार जाता है। इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं समझा जाना चाहिए कि जिन व्यक्तियों ने हारने वाले प्रत्याशी को वोट दिये हैं, उनका जीतने वाले प्रत्याशी या सरकार पर कोई अधिकार नहीं है। प्रजातंत्र की सच्ची भावना तो यही है कि सभी लोगों का जीते हुए निर्वाचित प्रत्याशी एवं चुनी हुई सरकार पर पूर्ण अधिकार है और उनसे कार्य करवाने हेतु बेझिझक संपर्क करना चाहिए। इसी प्रकार जीते हुए प्रत्याशी व चुनी हुई सरकार दोनों को उनको वोट देने वाले तथा उनको वोट नहीं देने वाले सभी मतदाताओं की समान रूप से उन्नति एवं विकास हेतु कटिबद्ध होना चाहिए। चुने हुए प्रत्याशी व सरकार से कार्य करवाने में समझदारी है और फिर भी मतदान के समय मत अपने विवके से ही दिया जायें।
यह जनता के ऊपर है कि क्षेत्र विशेष या समाज विशेष के लोग सरकार से किस प्रकार अधिक से अधिक लाभान्वित होने हेतु सार्थक रूप से आवाज उठाते है और सरकारी संसाधनों के उपयोग से अपने क्षेत्र व समाज की उन्नति करवायें। कई लोग ऐसे होते हैं कि चुनावों में जिसको वोट दिए है वह प्रत्याशी हार जाता है तो जीतने वाले निर्वाचित प्रत्याशी अथवा सरकार से कभी काम कराने की मंशा ही नहीं रखते हैं। प्रजातंत्र में लोगों की यह सोच सही नहीं है। प्रजातंत्र में मतदान से प्रत्याशी को निर्वाचित करना एक सामान्य प्रक्रिया है। जिसे 100 में से 51 वोट मिल जाते हैं, वह चुनाव जीत जाता है और जिसे 49 वोट मिलते हैं वह हार जाता है। इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं समझा जाना चाहिए कि जिन व्यक्तियों ने हारने वाले प्रत्याशी को वोट दिये हैं, उनका जीतने वाले प्रत्याशी या सरकार पर कोई अधिकार नहीं है। प्रजातंत्र की सच्ची भावना तो यही है कि सभी लोगों का जीते हुए निर्वाचित प्रत्याशी एवं चुनी हुई सरकार पर पूर्ण अधिकार है और उनसे कार्य करवाने हेतु बेझिझक संपर्क करना चाहिए। इसी प्रकार जीते हुए प्रत्याशी व चुनी हुई सरकार दोनों को उनको वोट देने वाले तथा उनको वोट नहीं देने वाले सभी मतदाताओं की समान रूप से उन्नति एवं विकास हेतु कटिबद्ध होना चाहिए। चुने हुए प्रत्याशी व सरकार से कार्य करवाने में समझदारी है और फिर भी मतदान के समय मत अपने विवके से ही दिया जायें।
रघुवीर प्रसाद मीना
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