Saturday 10 September 2016

कैसे समाज के बच्चों को सफाईवाला बनने से बचाया जाये?

rpmwu85
10.09.2016
मीना समुदाय के लोगों की सबसे सकारात्मक बात जो मैंने नोट की है वह यह है कि हमारे लोगो के मन में कोई हीन भावना नहीं है| गाँव में आज भी लोग दूसरों को इसीविसी या सिटपिटी जात का ही समझते है| व्यक्ति की आर्थिक हालात से इसमें कोई ज्यादा फर्क नहीं देखा गया है| और ये ही कारण है कि हमारे समुदाय के लोग बड़ी बहादुरी के साथ सरकारी कार्य करते है| समुदाय के लोगो में यह भावना किसी मूल्यवान एसेट से कम नहीं है|  

हर कार्य का महत्व है, जातिपॉति नहीं होनी चाहिये ऐसा अक्सर सभी कहते है फिर भी कोई व्यक्ति अपने बच्चों को सफाईवाला नहीं बनाना चाहता है। हमारे समाज के लोग पहले कभी सफ़ाईवालो का कार्य नहीं करते थे।परन्तु अब देखा जा रहा है कि लोग सफ़ाईवालो में भर्ती हो रहे है। एक ओर तो कहा जा रहा है कि समाज की उन्नति हो रही है दूसरी ओर खराब आर्थिक हालात व आसानी से पैसा कमाने की अवधारणा से लोग सफ़ाईवालो तक में भर्ती हो रहे है। हमारे समाज का सामाजिक स्तर गिरता जा रहा है। सफ़ाईवालो के बच्चों में हीन भावना आना तय बात है। एक दिन ऐसे लोग तो हीन भावना से ग्रस्त होंगे ही अपितु समस्त समुदाय के सामाजिक स्तर पर इस बात का विपरीत प्रभाव पड़ेगा| 

इतिहास की थोड़ी बहुत जानकारी सभी को है और जिन्हें नहीं है करते रहना चाहिये। परन्तु आवश्यक है कि आज व भविष्य को कैसे सुधारा जाये? कैसे मीना बच्चों को सफ़ाई वालों में भर्ती होने से रोका जाये? इन बिषयों पर चर्चा हो तो ज्यादा लाभकारी हो सकती है।

मेरे मत के अनुसार सफाईवाला बनने से बेहतर है कि व्यक्ति उसकी स्किल्स का विकास करे व अन्य कार्यो में जाये| सरकार की योजनाओ का लाभ लेते हुए गाँव में रहकर 5 भैसे पालकर जीवन जीना ज्यादा बेहतर व संतोषजनक हो सकता है| 

यदि किसी भाई या बहन को यह पोस्ट ख़राब लगे तो उसके लिए क्षमा करे|

रघुवीर प्रसाद मीना

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