rpmwu252
06.08.2019
370 का उन्मूलन : जीत हार नहीं मानकर सभी की जीत का भाव रखें।
जम्मू कश्मीर के संदर्भ भारतीय संविधान की धारा 370 को समाप्त करना एक सराहनीय कदम है। इससे जम्मू कश्मीर राज्य जिसे कई मायनों में अन्य राज्यों की तुलना में विशेष अधिकार प्राप्त थे जोकि इस राज्य को पीछे रखने के अहम् कारक थे वे समााप्त हो जाएंगे। वहां के लोग मानते रहे है कि धारा 370 के माध्यम से प्रदत्त विशेष अधिकारों के कारण उनके नागरिकों व राज्य की उन्नति होगी परंतु ऐसा नहीं हुआ और यह तथ्य सभी के सामने है। धार्मिक उन्माद, आतंकवाद की घटनाओं व अन्य कारणों से जम्मू कश्मीर, जिसको कि भारत का स्वर्ग कहा जाता है, की उन्नति नहीं हुई और यह राज्य बहुत पिछड़ा रह गया। वहां लोग दिग्भ्रमित होकर भारत के विरुद्ध ही अभियान चलाते रहते हैं, हमारी सेना को दूसरे देश की सेना मानते है।
धारा 370 को समाप्त करना किसी की जीत या किसी की हार की तरह नहीं लेकर सभी की जीत ही मानी जानी चाहिए। भारत सरकार के इस एक्शन से कश्मीर में रहने वाले लोगों का कल्याण होगा और कश्मीर भारत देश के अन्य राज्यों की भांति मजबूत केंद्र शासित प्रदेश अथवा राज्य बनेगा।
आजादी के समय जब कश्मीर का भारत में विलय हो रहा था तब बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने धारा 370 के माध्यम से कश्मीर को विशेष दर्जा देने का विरोध किया था। इसी प्रकार डॉ श्यामा प्रकाश मुखर्जी ने भी इस धारा के विरुद्ध कड़ी आपत्ति जताई, उन्होंने कहा कि एक देश में दो निशान, दो प्रधान और दो विधान नहीं चल सकते हैं। ऐसे सभी लोगों की सोच सही साबित हुई और जम्मू कश्मीर को अलग दर्जा देने के कारण वहां उन्नति अन्य राज्यों की तुलना में कम हो पाई और वहां के लोग अपने आपको अलग प्रदेश अथवा देश के लोग मानने लगे और आतंकवाद की घटनाएं इत्यादि बहुत अधिक घटित होने लगी। भारत सरकार को जम्मू कश्मीर को अपने साथ रखने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ी व भारी संख्या में सैनिकों को शहीद होना पड़ा। उक्त के मध्येनजर धारा 370 की समाप्ति एक स्वागत योग्य कदम है।
रघुवीर प्रसाद मीना
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