rpmwu256
10.08.2019
आदिवासी_और_उनका_भविष्य
दिनांक 9 अगस्त 2019 को अनेक स्थानों पर अंतर्राष्ट्रीय विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया था और सभी आयोजनों में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ साथ विचार विमर्श किए गए।
हमें बहुत ही गंभीरता से सोचना होगा कि हम राष्ट्र की मुख्यधारा में कैसे आएं? और हमारे युवाओं का भविष्य कैसे बेहतर बने?
1. सबसे पहले तो हमें अर्थात आदिवासियों को यह समझना होगा कि दूसरे लोग हमें क्या समझते हैं? हमारे बारे में क्या अवघारणा रखते है? दूसरे लोग आदिवासियों को उघाड़ा या कम कपड़ों में रहने वाला गरीब व्यक्ति मानते है और सोचते हैं कि गरीब होने के बावजूद भी ये लोग नाच गाने करके प्रसन्न रहते हैं और जीवन जीते हैं। उनके मन में हमारे लिए केवल दिखावा हेतु दया का भाव है वास्तव में वे हमारी कोई परवाह नहीं करते हैं।
2. हमारे कई पढ़े लिखे लोग भी इस बात की वकालत करते हैं कि हमें हमारी पुरानी संस्कृति को जिंदा रखना चाहिए और हम जैसे पहले रहते थे वैसे ही रहना चाहिए। मैं इस बात से सहमत नहीं हूं। मुझे लगता है कि हमें नई दिशा की खोज करनी होगी, उदाहरणार्थ जैसे पूर्व में बैल से खेती की जाती थी परंतु अब जब ट्रैक्टर आ चुके हैं तो लोग ट्रैक्टर से खेती करते हैं बैल से नहीं। इसी प्रकार अब इस जमाने में हमें अपनी संस्कृति को नए हिसाब से बदलना होगा और हमें देश की मुख्यधारा में आगे आने के लिए शिक्षित होना होगा और हमारे विचारों को विकसित करना होगा। पुरानी संस्कृति के अच्छे पहलूओं को बिलकुल अंगिकार किया जा सकता है परन्तु व्यर्थ के पहलूओं को छोडना जरूरी है।
3. हमें सरकारी क्षेत्र के साथ-साथ निजी क्षेत्र मैं भी काम करना होगा और समाज को निजि क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को महत्व सम्मान देना होगा।
4. साथ में हमें बिजनेस की ओर बढ़ना पड़ेगा अन्यथा हम आर्थिक रूप से ज्यादा मजबूत नहीं हो सकते हैं। नौकरी के साथ साथ बिजनेस व निजी क्षेत्र में सहभागिता बहुत ही आवश्यक है।
5. आपसी परस्पर सहयोग की भावना को और प्रगाढ़ करना होगा। उच्च दर्जे का काम, आचरण व व्यवहार करके हमें हमारी ब्रांड वैल्यू स्टबलिश करनी होगी।
इस विषय में आप सभी कृपया अपने विचारों से भी अवगत करायें।
रघुवीर प्रसाद मीना
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