Monday 10 October 2016

जीवन की संरक्षा से जुड़े दो महत्वपूर्ण पहलू - तैरना आना एवं ट्रेन से उतरना

rpmwu90
10.10.16
जीवन की संरक्षा से जुड़े दो महत्वपूर्ण पहलू - तैरना आना एवं ट्रेन से उतरना

व्यक्तिगत तौर पर मैंने कई बार देखा है कि पानी में तैरना नहीं आने के कारण लोगों खासकर छोटे-छोटे बच्चों की दर्दनाक घटना में मृत्यु हो जाती है। इसी प्रकार चलती ट्रेन में से उतरते समय लोगों खासकर महिलाएँ एवं लड़कियाँ दूर्घटनाग्रस्त हो जाती हैं। ये दोनों पहलू हम सभी ने देखे या सुने होंगे। 

इन पहलुओं को नजरअंदाज नहीं किया जाये एवं तत्परता से ध्यान देते हुए निम्नलिखित सकारात्मक कार्यवाही करने की आवश्यकता है -

1. जिन लोगों को तैरना नहीं आता है, वे स्वयं तैरना सीखें एवं छोटे बच्चों को अविलम्ब तैरना सिखायें/सिखवायें।

2. सामान्यतः हर व्यक्ति को ट्रेन के रूकने पर ही उतरना व चढ़ना चाहिए, परन्तु कभी कभार  आवष्यकता पड़ ही जाती है, जिसमें व्यक्ति को चलती हुई ट्रेन में चढ़ना व उतरना पड़ता है। ऐसे समय पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि चलती हुई गाड़ी से उतरते या चढ़ते समय व्यक्ति का मुँह गाड़ी के चलने की दिशा में ही हो एवं सीधा प्लेटफाॅर्म पर नहीं कूदें बल्कि उतरने के बाद गाड़ी के साथ-साथ गाड़ी के चलने की दिशा में दौड़े। 

फिर भी चेतावनी है कि चलती हुई गाड़ी की गति यदि तेज हो गई हो तो किसी भी हालत में चलती गाड़ी में न तो चढ़ने की कोशिश करनी चाहिए और न ही उतरने की। विशेष परिस्थितियों में गाड़ी में लगी “अलाॅर्म चैन पुल“ का उपयोग करें अन्यथा अगले ठहराव से वापस आ जाये। 

रघुवीर प्रसाद मीना



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