Monday 10 October 2016

गाँवों में बदलता हुआ आर्थिक परिदृष्य - कौशल (स्किल) विकास व सोचने के तरीके में बदलाव करके सुधारी जा सकती है आर्थिक दशा

rpmwu89
10.10.16

गाँवों में बदलता हुआ आर्थिक परिदृष्य - कौशल (स्किल) विकास व सोचने के तरीके में बदलाव करके सुधारी जा सकती है आर्थिक दशा।

पिछले कुछ दिनों मैं गाँव में रहा एवं देखा कि पूर्व में जिन लोगों की आर्थिक दशा अच्छी नहीं थी, उनकी आर्थिक दशा अब सुधर रही है और कई ऐसे लोग हैं जो आर्थिक रूप से ठीक-ठाक या मजबूत थे, उनकी आर्थिक दशा  खराब होती जा रही है।

गाँव के कुओं पर पानी भरते समय एवं सामान्यतः भी भिन्न-भिन्न लोगों की वेश-भूषा देख कर इसका आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है। हमारे समाज के जिन घरों में कोई व्यक्ति सरकारी सेवा में नहीं है एवं केवल कृषि पर ही निर्भर हैं, उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। जो समाज मजदूरी करते हैं, उनकी आर्थिक स्थिति कृषि पर निर्भर परिवारों से बेहतर होती जा रही है। कृषि पर निर्भर अधिकतर परिवारों की वर्ष में दो बार ही आय होती है तथा साथ में मशीनीकृत उपकरणों के उपयोग, सिंचाई,खाद व मजदूरी की ऊँची दर के कारण फसल की लागत बहुत अधिक बढ़ गई है जिसकी वजह से कृषक को नेट लाभ या तो न के बराबर होता है या हानि में ही रहते हैं। दूसरी ओर जिन समाजों के लोग उनके कौशल (स्किल) में विकास करके कारीगर बन जाते हैं वे प्रतिदिन कम से कम 500 रू. की आमदनी करते हैं, साथ-साथ उनकी घरवाली भी 300 रू. की आमदनी करती है। इस प्रकार इन वर्गों के लोगों की आर्थिक दशा सुधरती चली जा रही है।

हमारे समाज के गाँव में रह रहे लोगों को चाहिए कि प्रतिदिन आमदनी के लिए दूध उत्पादन को व्यापार की तरह अपनायें और प्रतिदिन आमदनी अर्जित करें। जो लोग किसी कारण वश पढ़ाई में पीछे छूट गये हैं, उन्हें चाहिए कि वे उनके कौशल (स्किल) में विकास करके विभिन्न रोजगारों को अपनायें एवं साथ-साथ खर्चे की चीजें जैसे धूम्रपान, खैनी, गुटखा इत्यादि खाने से बचें।

जो लोग पढ़े-लिखे हैं एवं आर्थिक रूप से समृद्ध हैं, उन्हें चाहिए कि वे गाँवों में उधोग विकसित करेें एवं गाँवों व शहरों के बीच एक कड़ी का काम करते हुए गाँवों में बनने वाले उत्पादों को शहरों में मुहैया करायें ताकि गाँव के लोगों को वहीं पर उचित दर पर रोजगार मिल सके।

नेताओं व उच्च सरकारी अधिकारियों को चाहिए कि वे अपने व्यक्तिगत सम्बंधों तक का उपयोग करते हुए गाँव के विकास हेतु आधारभूत सुविधायें उपलब्ध करवाने में यथासम्भव योगदान दें।

सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारी भी गाँव में लोगों को सही सलाह दें एवं जितना सम्भव हो सके लोगों को व्यक्तिगत एवं सामूहिक परेशानियों से निजात दिलाने में मदद करें।


रघुवीर प्रसाद मीना

No comments:

Post a Comment

Thank you for reading and commenting.