rpmwu298
18.01.2020
Welfare_of_the_labour : It is a sacred duty of all of us.
माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों पर सरकार द्वारा कैजुअल लेबर के हित में बहुत अच्छे संलग्न निर्देश जारी किए गए हैं। परंतु दुख की बात है कि अधिकांश जगह इन निर्देशों की वास्तविक अनुपालना नहीं होती है। अधिकतर अधिकारी व कर्मचारी लेबर हित के बारे में ध्यान ही नहीं देते हैं एवं उनकी छोटी सी लालच के अधीन होकर लेबर को मिलने वाले हक को दिलाने में कोताही बरतते है।
18.01.2020
Welfare_of_the_labour : It is a sacred duty of all of us.
माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों पर सरकार द्वारा कैजुअल लेबर के हित में बहुत अच्छे संलग्न निर्देश जारी किए गए हैं। परंतु दुख की बात है कि अधिकांश जगह इन निर्देशों की वास्तविक अनुपालना नहीं होती है। अधिकतर अधिकारी व कर्मचारी लेबर हित के बारे में ध्यान ही नहीं देते हैं एवं उनकी छोटी सी लालच के अधीन होकर लेबर को मिलने वाले हक को दिलाने में कोताही बरतते है।
इन निर्देशों में स्पष्ट रूप से लिखा है कि जो कार्य नियमित प्रवृत्ति के हैं उनके लिए कैजुअल लेबर नहीं रखे जाए अर्थात उनके लिए सरकारी लोगों की भर्ती करनी चाहिए परंतु हाउसकीपिंग व साफ सफाई जैसे कार्य जो कि वास्तव में नियमित प्रवृत्ति के हैं उनके लिए सरकार में हर जगह ठेके दे दिए गए हैं। अब तो और बहुत से नियमित प्रवृत्ति के कार्यों को अंधाधुंध ठेके पर दिया जा रहा है।
प्रावधान है कि यदि ठेके पर व्यक्ति रखे गये व्यक्ति को जो कार्य दिया गया है वह नियमित सरकारी कर्मचारियों के समान है तो लेबर को सरकारी कर्मियों के समकक्ष भुगतान करना चाहिए यानि प्रतिदिन के हिसाब से सरकारी कर्मियों के भुगतान का 1/30.
वास्तविकता यह है कि कैजुअल लेबर को सरकारी कर्मियों की तुलना में 1/3 से 1/5 भुगतान ही मिलता है। आयेदिन सुनने को मिलता है कि कार्य करने वाले लेबर को मिनिमम वेजेस भी नहीं मिल पाता है। यदि ठेकेदार मिनिमम वेजेस देते भी है तो विभिन्न धोखाधड़ी के तरीकों से उसके उस मिनिमम वेज में से काफी हिस्सा वापस प्राप्त कर लेते हैं।
सभी सरकारी अधिकारी व कर्मचारियों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि कैजुअल लेबर जोकि हमारे ही देश के ही नागरिक हैं उनके परिवार के भरण-पोषण और उनके बच्चों की उचित परवरिश व पढ़ाई लिखाई के लिए उन्हें कानूनी रूप से तय अधिक से अधिक भुगतान दिलाये।
रघुवीर प्रसाद मीना
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