#मूलभूतप्रश्न क्या जरूरतमंद लोगों द्वारा सरकार को दी जाने वाली सीधी आर्थिक सहायता (गरीब किसानों की कर्जमाफी, आर्थिक रूप से कमजोर पढ़ने वाले बच्चों को स्कॉलरशिप, आम नागरिकों के लिए निशुल्क मेडिकल जांचे, ईलाज, दवाईयां, कम बिजली खर्च करने वालो को फ्री बिजली, राशन फ्री इत्यादि), उन कामों से अच्छी नहीं है जिनकी आवश्यकता नहीं होने के बावजूद उनमें व्यक्तिगत लाभों तथा रिश्वतखोरी के लिए रिसोर्सेज (स्टील, सीमेंट, बिजली, बिल्डिंग मैटेरियल इत्यादि) की बेवजह बर्बादी कराई जाती है ?
अनेकों ऐसे काम होते है जिनकी उतने बड़े स्केल पर आवश्यकता नहीं होती है परन्तु वे करवाये जाते है। करवाने के कारण व्यक्तिगत हित, किसी को खुश करना या काम में मिलने वाला कमिशन हो सकते है। यहां तक भी होता है कि लोग कमिशन मिलने की उम्मीद में सेफ्टी व खुबसूरती इत्यादि के नाम पर डिजाइन ही ऐसा करते है जिसमें जरूरत से ज्यादा सामान लगे। अच्छी बची हुई लाईफ की चीजों को तोड़कर बेवजह रिप्लेस कर देते है।
अनेकों लेवल पर रिश्वतखोरी के कारण कई कामों की गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि उनकी यूजफुल लाईफ बहुत कम मिल पाती है। कई बार तो बनते बनते ही क्षतिग्रस्त हो जाते है।
जहां सोफ्टवेयर या उच्च तकनीक के उत्पाद हो उनमें लूट की कोई सीमा ही नहीं रहती है।
सरकारी बैंकों से अनेकों लाख करोड़ों के ऋण लेकर भागने या बैंकृप्ट होने वाले लोगों की तो बात ही अलग है।
सरकार द्वारा खर्च किये जाना वाला हर रूपया या तो टैक्स या सरकारी उपक्रमों की आमदनी या लोन से लिया हुआ होता है। देश की सुरक्षा, एकता व अखण्डता को बरकरार रखना, भ्रष्टाचार को कम करना, तकनीकी को बढ़ावा देने, देश को आत्मनिर्भर बनाने के साथ सरकार की बैसिक जिम्मेदारी नागरिकों को योग्य व उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाना है। जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर है उनकी सीधी सहायता करना एक अच्छा कदम है।
आपके क्या विचार है?
सादर
रघुवीर प्रसाद मीना
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