rpmwu359 dt. 30.06.2020
30_जून : हूल_क्रान्ति_दिवस प्रत्येक वर्ष 30 जून को मनाया जाता है। भारतीय इतिहास में स्वाधीनता संग्राम की पहली लड़ाई वैसे तो सन् 1857 में मानी जाती है, किन्तु इसके पहले ही वर्तमान झारखंड राज्य के संथाल परगना में '#संथाल_हूल' और 'संथाल विद्रोह' के द्वारा अंग्रेज़ों को भारी क्षति उठानी पड़ी थी। सिद्धू तथा कान्हू दो भाइयों के नेतृत्व में 30 जून, 1855 ई. को वर्तमान साहेबगंज ज़िले के भगनाडीह गांव से प्रारंभ हुए इस विद्रोह के मौके पर सिद्धू ने घोषणा की थी-
#करो_या_मरो, #अंग्रेज़ों_हमारी_माटी_छोड़ो।
इसके अलावा देश के आदिवासियों ने स्वतंत्रता संग्राम और देश की उन्नति में अहम् भूमिका निभाई है। परंतु ना तो आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों और ना ही आदिवासी राजनेताओं और ना ही आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ताओं को देश में वह सम्मान मिला है जिसके वे वास्तव में हकदार है।
आवश्यकता है सभी समझदार लोगों को इस बात पर विचार करके क्रियान्विति करनी चाहिए कि आदिवासियों के द्वारा देश के लिए किए गए बलिदान व योगदान को उपयुक्त महत्व दिया जाए। आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों, राजनेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं के बारे में सरकार स्कूलों के नियमित पाठ्यक्रम में पढ़ाएं एवं सरकारी भवनों, स्थलों, सड़कों, रेलगाड़ियों इत्यादि का नाम आदिवासी समुदाय की महान विभूतियों के नाम रखें जाएं।
ऐसा करने से आदिवासी युवा, उनके स्वतंत्र सेनानियों, राजनेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं पर गर्व करेंगे और वे उनसे प्रेरणा लेकर देश की उन्नति में और अधिक योगदान देने के लिए तत्पर रहेंगे।
सादर
Raghuveer Prasad Meena
Raghuveer Prasad Meena