Friday 11 October 2019

Concept of Cosmic Soup

rpmwu271
10.10.2019

#A_concept_of_cosmic_soup : same for all

हम सभी एक चीज के बिना नहीं रह सकते वह है #सांस। प्रकृति में सभी मनुष्य व अधिकतर जीव जंतु सांस तो लेते ही हैं। हर जीव प्रकृति में उपलब्ध वायु, जिसे में आगे काॅस्मिक सूप की संज्ञा दूंगा, को ही सांस के रूप में  ग्रहण करता है। कॉस्मिक सूप में वातावरण में उपलब्ध हवा के साथ एक दूसरे मनुष्य व जीव जंतु, पशु पक्षी के द्वारा छोड़ी गई सांसों की वायु एवं यदि आसपास में खुशबूदार फूल है तो उनसे सुगंध और यदि कोई चीज सड़ रही है व खराब हो रही है तो उनमें पल रहे बैक्टीरिया की वजह से दुर्गंध उपस्थित रहती है।
कोई व्यक्ति अपने आपको जाति, धर्म, धनदौलत, रंग के आधार पर भले कुछ भी समझे परंतु वह सांस लेते समय वातावरण में उपलब्ध उसी काॅस्मिक सूप को ग्रहण करता है जिसे दूसरे मनुष्य, जीव जंतु, पशु पक्षी ग्रहण करते हैं। अत: किसी को अपने आप को बहुत ऊंचा व दूसरों को नीचा समझना केवल उसके ज्ञान की कमी का द्योतक है ।
ऊंच-नीच की बात को त्याग कर आवश्यकता है कि कॉस्मिक सूप की क्वालिटी को बेहतर बनाया जाए और इसे बेहतर बनाने के लिए व्यक्ति को स्वयं को बीमारी मुक्त रहना होगा और आसपास में रहने वाले दूसरें मनुष्य, जीव जंतु, पशु पक्षियों भी जितना संभव हो सके बीमारी मुक्त हो तो बेहतर है। इसी प्रकार काॅस्मिक सूप में दुर्गंध वाले बैक्टीरिया कम से कम हो तो ऐसी स्थिति हर व्यक्ति के लिए फायदेमंद है। अत: काॅस्मिक सूप की क्वालिटी को बेहतर बनाने के लिए आसपास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखना होगा ताकि उसमें कम से कम मात्रा में बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया उपस्थित रहें।
यह तो हुई केवल फिजिकल हेल्थ की बात। अब यदि मेंटल हेल्थ की बात करें तो उसमें भी कॉस्मिक सूप का फार्मूला लगता है। यदि हम खराब लोगों के साथ रहेंगे तो हमारे मस्तिष्क में खराब विचार प्रवेश करेंगे और यदि हम अच्छे लोगों के साथ रहोगे तो हमारे मस्तिष्क में अच्छे विचार आयेंगे। संगत में रहने वाले लोगों से हमारी विचारधारा प्रभावित होती है। अत: हमें अच्छे लोगों की ही संगत करनी चाहिए।
रघुवीर प्रसाद मीना

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