rpmwu266
23.09.2019
#DAP धार्मिक_अंधविश्वास_के_प्रदूषण पर जोरदार तर्कपूर्ण प्रश्न।
#धार्मिक_अंधविश्वास_के_प्रदूषण (DAP) व #भगवान के #अस्तित्व पर पर कई जोरदार #तर्कपूर्ण #प्रश्न। पिछले दिनों में मैं दो बार हम्पी गया और वहां जाने के बाद लगा कि #भगवान वास्तव में #नहीं है। यह केवल दूसरे लोगों के मष्तिष्क को आसानी से नियंत्रित करने के लिये #परिकल्पना है। अन्यथा वहां के राजाओं ने भगवान का जितना #महिमामंडन किया था वह शायद ही कहीं और किया गया हो, उसके बावजूद भी मुसलमान नवाबों व शासकों ने वहां पर भगवान की लगभग हर #मूर्ति को #खंडित कर दिया और पूरे #साम्राज्य को #लूट लिया तथा भारी #जानमाल का #नुकसान किया गया एवं शक्तिशाली हिन्दू साम्राज्य का अंत हो गया। इसी प्रकार की घटनाएं #सोमनाथ मंदिर व अनेकों अन्य स्थानों पर घटित हुई परन्तु भगवान ने उनको मानने वालों की #कोई_मदद_नहीं की।
यदि वहां के राजाओं को समझ सही होती या समझदार लोगों द्वारा यह ज्ञान दिया जाता है कि भगवान के महिमामंडन के ऊपर जितना ध्यान दे रहे हैं उससे अधिक ध्यान #मिलिट्री_के_प्रशिक्षण व #विज्ञान और जनता के #विकास पर देते तो वह ज्यादा #जनहितकारी साबित होता।
धर्म की ज्यादा बात करने से केवल कुछ ही लोगों को लाभ हुआ है और ऐसा होता भी रहेगा। पब्लिक का बड़े स्तर पर धार्मिक बातों से कोई लाभ नहीं होने वाला है। ज्यादा #धार्मिक_कट्टरता #पिछड़ेपन व #आतंकवाद को बढ़ावा देती है।
अत: हमें #जय_जवान, #जय_किसान, #जय_विज्ञान व #जय_अनुसंधान के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए और धार्मिक क्रियाकलापों को जरूरत से ज्यादा महत्व नहीं देना चाहिए।
मुझे पता है कि इस प्रकार पोस्टस् मेरे कई मित्रों को अच्छी नहीं लगती है परन्तु फिर भी देशहित व उनको सोचने और विचार करने के लिए ये जरूरी है।
रघुवीर प्रसाद मीना
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