Tuesday 5 September 2017

रेलवे में यदि सफाई के स्तर को वास्तव में सुधारना है तो सफाई कर्मियों की दशा सुधारना जरूरी है।

rpmwu118
04.09.2017

रेलवे पिछले कई वर्षों से लगातार हरसम्भव प्रयास कर रही है परंतु फिर भी रेलवे स्टेशनों व रेलगाड़ियों के सफाई के स्तर में वांछित सुधार नहीं आ पाया है। इसका मुख्य कारण यह है कि सफाई कार्य करने वाले ठेकेदार के कर्मी असंतुष्ट एवं उदासीन भाव से कार्य करते हैं क्योंकि उनको दी जाने वाली मेहनताना राशि, जोकि सफाई पर होने वाले खर्च का लगभग 70% भाग से अधिक है, का रेलवे तो न्यूनतम मजदूरी के अनुसार भुगतान करती है परन्तु ठेकेदार इन कर्मियों को विभिन्न तरीके अपनाकर बहुत कम, तय न्यूनतम मजदूरी के 1/2 से भी कम एवं 8 घंटे के स्थान पर 12 घंटे काम करवा कर, भुगतान करते है। साथ में उनको भविष्य में भी कोई उन्नति का रास्ता नजर नहीं आता है। यही वजह है जिससे वे असंतुष्ट व उदासीन भाव से गुणवत्ता पर बिना ध्यान दिये कार्य को केवल निपटाते है। यह भी नोट किया है कि ठेकेदार कर्मियों की संख्या को पूर्ण करने के लिए बिना प्रशिक्षण दिये कैसे भी अक्षम लोगो को कार्य करने हेतु लगा देते है एवं अच्छी गुणवत्ता के कार्य के लिए आवश्यक कंज्यूमेबलस्, टूल्स, उपकरण, ड्यूरेबल आईटमस् व मशीनें इत्यादि भी मुहैया नहीं कराते है। कार्य की अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु योग्य पर्यवेक्षक भी नहीं लगाये जाते है। ठेकेदारों का प्रयास केवल बचत करना मात्र रहता है।
उक्त कार्यशैली अपनाकर सफाई के स्तर में कभी भी वांछित सुधार सुनिश्चित नहीं हो पायेगा। हमें चाहिये कि सफाई कर्मी संतुष्ट व खुश रहे और उनमें भविष्य में उन्नति की आशा भी रहे। अतः स्थिति में सुधार हेतु निम्न सुझाव है-
1. सफाई कार्यों को ठेके पर सम्पादित करवाना बंद करवाया दिया जाये। इसके स्थान पर कर्मियों को पूर्ववर्ती कैज्यूअल लेबरस् की तर्ज पर डायरेक्ट इनगेज किया जाये एवं रेल्वे बैंक पेमेंट के माध्यम से उनको तय न्यूनतम मजदूरी का भुगतान करें। यह कार्य कार्मिक विभाग की मदद से आसानी से किया जा सकता है।
2. अच्छे भविष्य की आशा जागृत रखने हेतु  लगातार तीन बर्ष अच्छा कार्य करने वालों के लिए "ग्रुप-डी" की भर्ती में 10% प्रतिशत या उपयुक्त कोटा निर्धारित किया जाये। तीन बर्ष की कार्य अवधि के बाद भी यदि व्यक्ति चाहे तो उसे कार्य करने देना चाहिये ताकि रेलवे को अनुभवी व प्रशिक्षित कर्मी मिलते रहे।
3. समय पर प्लान किए हुए टूल्स, उपकरण, मटेरियल, केमिकल्स व अन्य कंज्यूमेबलस् स्टोर विभाग के माध्यम से रेट कॉन्ट्रैक्ट या फेज्ड़ डिलेवरी बनवाकर नियमित रूप से खरीदे जा सकते हैं। एवं खास परिस्थितियों में कैश इम्प्रेस्ट के माध्यम से इनकी व्यवस्था की जा सकती है। मदों को सीधे मैन्यूफैक्चरर या उनके अधिकृत डीलर से ही खरीदा जाये।
4. मशीनों की खरीद हेतु वरिष्ठ मंडल यांत्रिक इंजीनियरस् एवं वरिष्ठ कोचिंग डिपो अधिकारियों को पावर दी जाएँ कि सफाई के कार्य में आने वाली मशीनों की स्वीकृति स्वयं कर सके एवं उन्हें खरीदने हेतु मंडल स्तर पर नॉर्मल या स्पॉट परचेज के तहत त्वरित प्रक्रिया अपनाकर उनकी उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। मशीनों के रखरखाब हेतु सीएएमसी दी जाये।
उक्त प्रक्रिया को अपनाने मैं जो ऊर्जा लगेगी वह ठेके देने, उन्हें लगातार मॉनिटर करने, उनके बिल फाइनल करने, ठेकेदार को चैज करने, उन पर पैनल्टी लगाने और गुणवत्ता सुधारने हेतु बार-बार में लिखने इत्यादि में लगने वाली ऊर्जा से कम होगी। ऐसा करने से न केवल सफाई की गुणवत्ता के स्तर में वांछित सुधार होगा बल्कि गरीब मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी मिलने से उनके जीवन स्तर में सुधार होगा और उनके बच्चे भी पढ़ लिखकर देश के अच्छे नागरिक बन सकेंगे।
रघुवीर प्रसाद मीना
मुख्य चल स्टाक इंजीनियर
पश्चिम मध्य रेलवे, जबलपुर।

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