Wednesday 16 November 2016

सभी में राम है तो अछूतता क्यों? क्यों किया जाता है गरीब, कमजोर व पिछडो को आगे बढाने की योजनाओं का विरोध?

हिन्दु धर्म हर जीव आत्मा में परमात्मा के स्वरूप के होने की अवधारणा रखता है। लोग कहते है कि हर व्यक्ति में राम है। फिर हिन्दु धर्म मानने वाले लोग अछूतता (अस्पृश्यता) में क्यों विश्वास करते है? क्यों नहीं हर व्यक्ति में राम देखते है? क्यों कुछ लोग ग़रीबों का हर प्रकार का शोषण करते है? लोगों के हक़ मारकर कमाई धनराशी से दिखावे के लिए दान दक्षिणा करते है?
हिन्दु धर्म में ऊँच-नीच की भावना से एक राम को ऊँचा व दुसरे राम को नीचा मानते है। कहने मात्र के लिए तो सभी में राम है परन्तु वस्तुस्थिति यह है कि ऊँच-नीच की मान्यता इतनी गहरी है कि लोग राम राम में ही बहुत भारी अंतर करते है।
यदि अग्रणी हिन्दु, हिन्दु धर्म का वास्तव में भला चाहते है तो उन्हें इस दौगलेपन को छोड़ना होगा एवं सभी में जो राम है उसे समान रूप से देखना होगा। गरीब, कमजोर व पिछड़े लोगों के उत्थान के लिए सरकार या संस्थाओं द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का विरोध छोड़कर उनका समर्थन करना चाहिये। बेव़जह न्यायलयों का सहारा लेकर पिछड़ो को आगे लाने की सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को अटकाकर समाज में द्वैशता पैदा करने की आदत को छोड़ना होगा।
अस्पृश्यता व गरीब/पिछड़ो के उत्थान की योजनाओं का विरोध करना छोड़कर देखो देश की उन्नति की रफ़्तार अपने आप बढ़ जायेगी।
रघुवीर प्रसाद मीना

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