Friday 21 July 2023

मकान मालिक को किरायेदार बनाकर बाहर कर दिया..... और कर रहे है.....


rpmwu466 Dt. 21.07.2023
सम्पूर्ण संसार में आदिवासियों की जनसंख्या 48 करोड़ (6.2%) के लगभग है और 2011 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 10.42 करोड़ (8.62%) तथा राजस्थान में 92.38 लाख (13.48%) थी। हमारे देश में कुल 705 जनजातीय समूह है जिनकी विभिन्न राज्यों में शून्य से लेकर 95% तक आबादी है।

आदिवासी यानि मूल निवास (Indigenous Peoples) जो किसी भूभाग पर बहुत पहले से ही रह रहे है। दूसरे लोग बाद में बाहर से आए। बाहर से आने वालों ने उनकी एकता, टेक्नोलॉजी व धोखाधड़ी के माध्यम से संसार में हर जगह जो स्थानीय आदिवासी थे उनके साथ बहुत क्रुर व बुरा व्यवहार किया। उनकी धन दौलत, जमीनें, खेती के संसाधन, खदान इत्यादि को लूट लिया और उन पर गंभीर अत्याचार किये और अत्याचार अभी भी जारी है। यही कारण है कि संसार में 6.2% आदिवासी कुल गरीब जनसंख्या का 19% है। इसी प्रकार कुपोषण के कारण आदिवासियों की लाईफ एक्पेंटेंसी अन्य नागरिकों की तुलना में 20 वर्ष कम है। आदिवासियों की स्थिति को प्रदर्शित करने के लिए निम्न संकलन का समय निकाल कर अवलोकन करें और देखें कि देश में आदिवासियों की कितनी दयनीय स्थिति है। 
हाल ही में मध्यप्रदेश में एक घटना हुई जिसमें एक आदिवासी पर पेशाब किया गया। मणिपुर की घटना के वीडियोज् ह्रदय विदारक है। ऐसा आखिर क्यों हो रहा है? और इसे रोकने में ऐसे तो देश के सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है परंतु जो नागरिक आदिवासी समुदाय से संबंध रखते हैं उनकी जिम्मेदारी ज्यादा बनती है।

मणिपुर की घटना के संबंध में दिनांक 20 जुलाई 2023 को जवाहर सर्किल एक कैंडल मार्च का आयोजन किया गया। लगभग 100 युवाओं ने भाग लिया। आने वाले समय में हमें और जागरूक व संगठित होने की जरूरत है। देश के किसी भी कोने में यदि आदिवासियों के साथ अत्याचार हो तो हम पुरजोर तरीके से आवाज उठाएं। हमारे राजनेताओं को भी हम कहें कि उन्हें भी आदिवासियों के मुद्दों पर आवाज उठायें।

जोहार
रघुवीर प्रसाद मीना
Raghuveer Prasad Meena

4 comments:

  1. बहुत सही आंकलन किया है.
    इसका सबसे बड़ा कारण है आरक्षित सीटों से जीते जनप्रतिनिधि उन वर्गो के हितों पर चुप रहते है
    पार्टी की गुलामी करने वाले लोगों को चुनना बंद करना होगा

    ReplyDelete
  2. फिलहाल इस समय हमें जनजाति समुदाय को जागृत करने के लिए अथक प्रयास करने होंगे ताकि हमारा समाज "समान कानून संहिता" के लाभ व हानि को जान सके यदि हम इस समय सोते रहते हैं तो सांप निकलने के बाद लकीर पीटने वाली बात रह जायगी । दौसा जिले के आदिवासी संगठन के द्वारा कुछ संविधान सम्मत बातें व हमारे अधिकारों को संकलित कर एक पेज का पेंपलेट जारी किया जा रहा है ताकि हमारे नवयुवक व समाज के जागरूक व्यक्ति उन सबको पढ़ सके व समझ सके ।हमें यह बड़ी लड़ाई लड़नी होगी और पूरे राजस्थान में अनुसूचित जनजाति के लोगों के एक साथ मिलकर यह लड़ी जाए तभी एक अच्छा मैसेज हमारे जनप्रतिनिधि व हमारे समाज सेवी लोगों के द्वारा सरकारों तक पहुंचेगा

    ReplyDelete
  3. मणिपुर में आदिवासियों के साथ हों रहे अत्याचार के बारे पूरा देश स्तबध है दिल्ली में प्रदर्शन कुछ गिने चुने मणिपुरी आदिवासी कर रहे हैं दूसरे राज्यों के आदिवासी केवल चिंता जता रहे हैं देश के आदिवासी समुदाय राज्यो मे बटे हुए है क्योंकि देश के आदिवासियो का अपना कोई संगठन नही जो अनुसूचित जातियों की तरह राष्ट्रीय स्तर पर उठा सके,
    इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर देश के आदिवासियो का एक मज़बूत संगठन बनना चाहिए I विश्व आदिवासी दिवस जल्दी ही 8 अगस्त को आने वाला , कुछ प्रयास किया जा सकता है I

    ReplyDelete

Thank you for reading and commenting.