rpmwu 109
26.03.17
जीवन में साहारे का बहुत अधिक महत्व होता है इस बात को समझने के लिए मानिये कि आप किसी बहुत ही सकरे (तंग) रास्ते पर जमीन पर चल रहे हैं, हो सकता है आप उस पर दौड़ भी सकते हैं। आपको पता है कि यदि गिरोगे तो जमीन से साहारा मिल जायेगा, ज्यादा चोट नहीं लगेगी। अब यदि वही तंग रास्ता ऊंचाई पर हो और दोनों ओर कोई साहारा नहीं हो तो उस पर चलना मात्र ही बहुत मुश्किल हो जाएगा। यदि ऊँचाई पर स्थित उस तंग रास्ते के दोनों ओर रेलिंग लगा दी जाए तो व्यक्ति बिना रेलिंग को टच किए हुए साहारा होने मात्र की अनुभूति से ही आराम से चल सकता है क्योंकि उसके मन में यह भावना रहती है कि यदि कुछ हुआ तो साहारा तो है। रेलिंग मुझे संभाल लेंगी, गिरने नहीं देगी।
इसी बात को जब हम जीवन के अन्य पहलुओं पर परखते हैं तो लगेगा कि जिन व्यक्तियों के पास परिवार या दोस्तों या जानकार व्यक्तियों से साहारा मिलने की सम्भावना होती है वे सामान्यतः जीवन में डरते नहीं है और उन्नति के लिए रिस्क लेने को तैयार रहते है। दूसरी ओर उन लोगों को देखो जिनके पास परिवार या दोस्त या जानकारों का साहारा नहीं है उन्हें हर कदम पर लगेगा कि कोई गलत नहीं हो जाए, वह डर डर के जीवन यापन कर करेगा।
अतः समझदारी इसी में है कि व्यक्ति अपने परिवार, दोस्तों व जानकार लोगों के साथ अच्छी तरह रहे, उनके यथासंभव काम आये ताकि आवश्यकता पड़ने पर वे सभी भी उसके काम आये व उसके मन में साहारा मिलने की उम्मीद रहे।
रघुवीर प्रसाद मीना