rpmwu151
07.11.2018
पिछले कुछ दिनों में सरकार में सेवानिवृत्त लोगों को पुनः जॉब देना एक ट्रेंड सा बन गया है। सेवानिवृत्त व्यक्ति को उसके सेवाकाल में प्राप्त सैलेरी से की गई बचत के साथ साथ पेंशन भी मिलती और वह सामान्यतः उसकी सभी जिम्मेदारियां से मुक्त रहता है जिसकी वजह से उसे आर्थिक रूप से और धन की उतनी आवश्यकता नहीं होती जितनी की एक बेरोजगार युवा को होती है। साथ ही साथ सेवानिवृत्त व्यक्ति की कार्य करने की क्षमता भी कम हो जाती है। वे उतने स्फूर्तिमान व एफिशिएंट नहीं हो सकते जितने की नए युवा।
सेवानिवृत्त व्यक्तियों को पुनः रोजगार देना और युवाओं को नये रोजगार से वंचित रखना किसी प्रकार से समझदारी नहीं लगती है। आर्थिक पैमाने पर भी यदि देखें तो जब व्यक्ति नया भर्ती होता है तो उसकी पे स्केल इत्यादि काफी कम रहती है जिसके कारण उनको दिए जाने वाले वेतन न्यूनतम स्तर का ही रहता है। वैसे भी सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार मुहैया कराएं।
परंतु आजकल देखा जा रहा है कि सरकार में पदों की रिक्तियों को समय पर नहीं भरा जाता है और या तो अधिकतर कार्य संविदा पर करवाए जा रहे हैं और या सेवानिवृत्त लोगों को पुनः रखा जा रहा है। ऐसा करने से युवा वर्ग रोजगार से वंचित हो रहा है। दूसरी ओर अधिकतर सेवानिवृत्त व्यक्ति पद को तो आॅक्यूपाई कर लेते हैं परंतु वांछित गुणवत्ता का कार्य नहीं कर पाते है।
इस पहलू को सभी प्राधिकारियों को गहराई से समझने की आवश्यकता है कि किस प्रकार सेवानिवृत्त व्यक्तियों को दिए जाने वाले पुन: रोजगार को रोका जाए और उनके स्थान पर नए युवाओं को रोजगार मुहैया कराया जाये।
कृपया इस विषय पर अपने अपने विचार व्यक्त करें।
लेखक के विचारों से सहमत हूँ। रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया मेँ सुधार लाना चाहिए,सेवानिवृत्त लोगों को पुनः नौकरी पर रखने की प्रक्रिया को शीध्र बन्द कर देना चाहिए।मजदूर युनियनों को भी इसमेँ सहयोग करना चाहिए। संविदा पर कार्य देने के नियम स्पष्ट और सख्त होने चाहिए तथ सख्ती से पालन करना चाहिए और इस सँदर्भ म़ें जागरुकता भी लाना चाहिए।
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