rpmwu158
29.11.2018
जनता की कमजोर समझ को नेताओं ने अच्छी तरह पहचान रखा है और विभिन्न प्रकार की बहकावे वाली बातें करके जनता को मूर्ख बनाते रहते हैं। हिंदू मुस्लिम, गाय, मंदिर, हरा भगवा रंग, जाति, धर्म, वर्ण व आरक्षण इत्यादि इत्यादि पर लोगों का ध्यान भटकाया जाता है। जबकि विधालयों में शिक्षा हेतु अच्छी सुविधा ना होना, शिक्षा की फीस का बढ़ना, किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य नहीं मिल पाना, उर्वरकों की आपूर्ति में ब्लैक मेलिंग होना, पीने योग्य पानी की उपलब्धता नहीं होना, दूरदराज के क्षेत्रों में अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी होना, गरीबों के पास बचत करने के तरीकों का नहीं होना, बेरोजगारी, स्वास्थ्य की सुविधाओं में कमी, महँगाई, भ्रष्टाचार इत्यादि जो वास्तविक मुद्दे हैं, जिनके हल से देश की गरीब जनता का भला होने वाला है, उन पर बिल्कुल या बहुत ही न्यूनतम ध्यान दिया जाता है।
इस बात को एक उदाहरण के माध्यम से बड़ी आसानी से समझा जा सकता है। गांव में जब चोर एक ग्रुप में जानवरों की चोरी करते हैं तो वे सबसे पहले उस जानवर के गले में बंधी हुई घंटी को खोलते हैं और उनमें से एक व्यक्ति उस घंटी को एक दिशा में गांव वालों को दिग्भ्रमित करने के लिए ले जाता है। और दूसरे लोग जानवरों को दूसरी दिशा में ले जाते हैं। घंटी की आवाज सुनकर गांव वालों को लगता है कि जानवर घंटी की आवाज आने वाली दिशा में जा रहा है परंतु वास्तव में जानवर किसी दूसरी दिशा में जा रहा होता है। गांव के लोग झूठी घंटी की आवाज से दिग्भ्रमित हो जाते हैं और वे घंटी की दिशा में चेज करते हैं। बाद में उन्हें पता लगता है कि उन्हें मूर्ख बनाया गया है और उनके जानवरों की चोरी हो हो गई है।
इसी बात को यदि हम गहराई से देखें तो पता चलता है कि मंदिर, मस्जिद, हरा-भगवा, अतीत की बातें, धर्म, दिखावा, जातिपांती, क्षेत्र इत्यादि लोगों को भावनाओं के माध्यम से घंटी से जोड़ना है। जबकि मूलभूत मुद्दे जैसे गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, पीने योग्य पानी, फसल का मूल्य, उर्वरक की समय व सही दर पर सप्लाई, महंगाई इत्यादि की ओर उनके ध्यान को जाने ही नहीं दिया जाता है। जनता को बहुत सोच समझ कर तय करना चाहिए कि घंटी पर ध्यान भटकाएँ या मुद्दों पर ध्यान दें।
वोट करते समय महत्वपूर्ण मुद्दों को ध्यान में रखें और समझदारी से योग्य व अच्छे उम्मीदवार को वोट दें ताकि देश का विकास हो सके और झूठी घंटी बजाने वालों से देश को बचाया जा सके।
रघुवीर प्रसाद मीना
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