rpmwu153
12.11.2018
हमेशा कहा जाता रहा है कि धर्म से जनमानस की भलाई होती और अधर्म से विनाश। जबकि वास्तव में अगर बहुत सरसरी तौर पर भी देखा जाएँ तो पता चलता हैं कि क्रिश्चियन धर्म में काले लोगों पर गोरे लोगों ने बहुत अधिक अत्याचार किया था। महात्मा गांधी जैसे व्यक्ति को ट्रेन के डिब्बे से सामान के साथ बाहर फेंक दिया गया, केवल और केवल रंगभेद के कारण। इसी प्रकार हिंदू धर्म मानने वाले लोगों ने दूसरे हिंदू धर्म मानने वाले अछूतों के साथ बहुत ज्यादा अत्याचार किया जिससे सभी भली-भांति परिचित है। यहां तक की अछूतों को पढ़ने, ज्ञान की बातें सुनने व बोलने इत्यादि इत्यादि पर प्रतिबंध था। मुस्लिम धर्म में भी यदि देखें तो दूसरे धर्म के लोगों का कोई सम्मान नहीं है। वे तो कहते हैं कि या तो व्यक्ति मुस्लिम हो अन्यथा वह काफिर है, वे चाहते हैं कि सभी लोग मुस्लिम बन जाएँ। इसी प्रकार अन्य धर्मों में भी धर्म के नाम पर अधर्म की नीति चलती आ रही है। निम्न प्रश्नों का उत्तर ढूंढने की जरूरत है-
धर्म के नाम पर मनुष्य का मनुष्य द्वारा शोषण एवं मूर्ख बनाना कैसा धर्म है? यह अधर्म क्यों नहीं है? उस धर्म विशेष के लोग इस प्रकार अधर्म गतिविधियों को क्यों नहीं रोकते हैं? क्यों नहीं गलत करने वालों को दंडित किया जाता है? जो चीजें पहले धर्म के नाम पर सही ठहराई जाती थी वे अब धीरे धीरे क्यों खराब सिद्ध होने लगी है? सदियों तक जो गलत चीज सही मानकर चल रही थी उसके लिए कौन जिम्मेदार था? और जो जिम्मेदार थे उन लोगों को क्या सजा मिल रही है? भूतकाल में जो हो चुका है उसको यदि भूल भी जाए तो वर्तमान में धर्म के नाम पर छुआछूत, भेदभाव, दमनकारी गतिविधियों के लिए क्यों नहीं रोक लगाई जा रही है? क्यों नहीं कड़े कानून के माध्यम से इस प्रकार के दमनकारी लोगों पर अंकुश लगाया जा रहा है?
अभी भी कुछ कुटिल लोग जो अपने आप को ज्यादा समझदार होने की बातें करते हैं वे, जिनका भूतकाल में शोषण हो चुका है और अब ऊपर उठ रहे हैं, को पचा नहीं पा रहे हैं। और आये दिन विभिन्न प्रकार के प्रपंच रचने में लगे रहते है। ऐसे लोगों को आईडेंटिफाई करने की आवश्यकता है और उनसे सजग रहकर दूरी बनाने एवं उनके बहकावे में नहीं आने की जरूरत है। उचित मौके पर उनको स्पष्ट जबाव देने की भी जरूरत है। कोई भी ऐसी गतिविधि नहीं की जानी चाहिए जिससे शोषण करने वाले लोगों को लाभ हो।
अत: आवश्यकता है कि धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण (DAP) से व्यक्ति अपने आप को दूर रखें और दूसरों को भी दूर रहने की सलाह दें, साथ ही धर्म के नाम पर चल रही लूट को रोके। हर व्यक्ति को उसके जीवन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की जरूरत है साथ ही उसके द्वारा किए जाने वाले कार्य को पूर्ण निष्ठा व ईमानदारी के साथ संपादित करें, यही सबसे बड़ा धर्म है।
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