Tuesday, 13 November 2018

समझदारी के साथ चुनाव में योग्य नेता चुने।

rpmwu154
12.11.2018

राजनीतिक पार्टियां उनकी विभिन्न मजबूरियों एवं सोची समझी चाल के कारण ऐसे लोगों को टिकट दे देती है जो कि किसी भी तरह से नेता बनने के योग्य नहीं है। न तो वे कोई पॉलिसी फॉर्मूलेशन में सहायक हो सकते हैं और ना ही उनके इंप्लीमेंटेशन में। ऐसे लोग 5 वर्ष के लिए विधानसभा या लोकसभा क्षेत्र का नाम मात्र का प्रतिनिधित्व करते हैं एवं उस क्षेत्र विशेष का कोई विकास नहीं करवाते हैं और न हीं करवा सकते हैं।
हो सकता है कोई व्यक्ति आप की जाति, धर्म, समुदाय का हो या आपका जानकार हो या आपका रिश्तेदार हो हो सकता है वह आपका चाचा, बाबा, भतीजा, मामा या फिर बुहा, बहन, भतीजी, दादी इत्यादि लगते हो तो उनका पूरा आदर व सम्मान करें परंतु यदि वह योग्य नेता नहीं है तो उसे नहीं चुनना चाहिए।
केन्द्र व राज्य सरकार के बजट के आंकड़ों के अनुसार हर व्यक्ति के हिस्से में 5 वर्षो लगभग ₹5 लाख की भागीदारी आती है अत: वोट का उपयोग महत्वपूर्ण मानते हुए पूर्ण समझदारी व बुद्धिमत्ता से करने की जरूरत है।
संविधान बनाते समय यदि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के स्थान पर किसी जानकार या रिश्तेदार अयोग्य व्यक्ति को कन्टिट्यूयेन्ट असेम्बली का सदस्य बना दिया जाता तो वह संविधान बनते समय केवल तमाशबीन ही बना रहता और बने हुए दस्तावेज पर दस्तखत कर देता। उसमें कमजोर वर्ग के हितों की रक्षा के लिए जो प्रावधान बनाए गए हैं वे कभी नहीं होते। हमें सोचना होगा कि हम क्या चाहते हैं अच्छे नेता या केवल जानकार, रिश्तेदार, बहन, बुआ, भतीजी, दादी, नानी, काका, बाबा, दादा, नाना इत्यादि।
रिश्तेदारी निभाना एक सामाजिक दायित्व है और अच्छे नेता का चुनाव करना एक गंभीर बुद्धिमता का द्योतक है। यदि हम स्वयं और देश व समाज की वास्तव में भलाई चाहते हैं तो हमें अच्छे नेताओं को चुनना होगा ना कि जानकार या रिश्तेदार या जाति या धर्म या समुदाय के आधार पर अयोग्य व्यक्तियों को।
यह भी देखा गया है कि कई नेता हर बार अपने क्षेत्रों को बदल लेते हैं। इसके पीछे मुख्य कारण यह होता है कि उन्होंने पिछले कार्यकाल में उनके क्षेत्र में कोई विशेष विकास कार्य नहीं करवाया होता है जिसके कारण वहां के वोटर उससे नाराज रहते हैं और वह हर चुनाव में नए-नए क्षेत्रों में जाकर अपने भाग्य को  अजमते रहते हैं। कई बार यह भी दिखाई देता है कि बाहरी व्यक्ति क्षेत्र विशेष में जाकर चुनाव जीतने के बाद वहां की गतिविधियों में बहुत कम रुचि लेते हैं और वह क्षेत्र अपने आप ही पिछड़ा रह जाता है।
उपरोक्त सभी के मद्देनजर विचारणीय बिंदु है कि अपने वोट के महत्व को पहचाने और योग्य नेता चुने ना कि अयोग्य व्यक्ति।
रघुवीर प्रसाद मीना

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