All the able persons in the world need to make lives of the poor and downtrodden better with human dignity by innovative thinking, planning and execution.शारीरिक रूप से मजबूत को कमजोर की, अधिक बुद्धिमान को कम बुद्धिमान की और धनवान को गरीब की मदद करना ही मानवता है।
Friday, 18 June 2021
खुशी एवं संतोष : अच्छे व मददगार पलों में है।
Thursday, 17 June 2021
#कृतज्ञ रहे व स्वयं भी दूसरों के लिए सार्थक करें।
रोटी के साथ कपड़ा, घर, बिजली, घर में आने वाला पानी, टीवी, मोबाइल, चश्मा, किताबें, पेन, व्हीकल, दवाईयां व वैक्सीनस्, रेल, रोड, हवाईजहाज़, जुते, घर के उपकरण व मशीनें इत्यादि और जिसके बारे में आप सोचे उसे बनाने के पीछे बहुत मेहनत, रिसर्च व समय लगा हुआ है। हम इनको आसानी से उपयोग में लेते है।
उपरोक्तनुसार हम सभी, बहुत सारे दूसरे लोगों के ऋणी है। अतः हमें दूसरों के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए एवं हमें स्वयं भी दूसरों के जीवन को बेहतर व सुलभ बनाने के लिये सार्थक काम करने चाहिए।
सादर
Raghuveer Prasad Meena
Monday, 14 June 2021
धन के अभाव में भी व्यक्ति बहुत कुछ कर सकता है। आचार विचार उत्तम रखने में धन नहीं चाहिये।
उपरोक्त लेख में बहुत ही जोरदार सीख लिखी है। किसी व्यक्ति को अपने आप को उसके मन में अच्छा समझने से दूसरा कोई भी नहीं रोक सकता है। व्यक्ति अपने भाव में उच्च विचार रखें व दूसरों की मदद करने की भावना विकसित करे। ऐसा हरेक व्यक्ति को स्वयं ही करना है। हालांकि आसपास के वातावरण से फर्क पड़ता है, उदाहरणार्थ यदि कोई बाग बगीचों व फूलों में घूम रहा हो तो उसके मन में अच्छे भाव आयेंगे और यदि वह गंदे नाले या सड़ी गली चीजों के आसपास है तो वह खराब ही सोचेगा। व्यक्ति की कड़ी मेहनत व अनेकों जतनो के पश्चात भी यदि वह आसपास के वातावरण में बदलाव नहीं कर सके तो उसे जगह बदल लेना ही श्रेष्ठतम है। संगत का भी व्यक्ति की सोच बनने में अतिमहत्वपूर्ण रोल होता है, अतः संगत सोच समझकर ही तय करें एवं यदि सही नहीं है तो ज्यादा समय तक उसमे नहीं रहे, बदल लेने में ही समझदारी है।
बिना धन के ही कोई भी व्यक्ति दूसरों के मिलने पर मुस्कुरा सकता है, मीठी वाणी में बात कर सकता है, प्रशंसा कर सकता है, शुभकामनाएं दे सकता है एवं अपने हाथों से मदद कर सकता है। यदि कोई व्यक्ति इस प्रकार का व्यवहार अपनाए तो वह जीवन में स्वयं के प्रयत्नों व दूसरों की मदद एवं आशिर्वाद से जरूर ही सफल हो जाएगा।
सादर
रघुवीर प्रसाद मीना
Saturday, 12 June 2021
जहाँ न्याय नहीं वहां उजाड़ निश्चित है। अत: न्यायपूर्ण व्यवहार करें।
Thursday, 10 June 2021
Elite (अभिजात) : जो कमजोर का ध्यान नहीं रखे वह एलीट कहलाने योग्य नहीं है।
Wednesday, 9 June 2021
निष्ठा (Loyalty) सकारात्मक है परन्तु अंधनिष्ठा बेहद नुकसानदायक होती है।
Behaviour of a gentleman
Tuesday, 8 June 2021
1st_May #the_international_labour_day
मैडिकल ईलाज व जाँचों में होने वाली बेईमानी
rpmwu401 dt. 08.06.2021
मैडिकल ईलाज व जाँचों में होने वाली बेईमानी को बखूबी व साधारण तरीके से समझाया है। हर जिम्मेदार अथॉरिटी व व्यक्ति को सिस्टम को सही करने पर ध्यान देने की जरूरत है।
दवाईयों की वास्तविक कीमत व एमआरपी में भी बहुत बड़ा अन्तर होता है। इस अन्तर को भी कम करने की जरूरत है। यदि एमआरपी कम होगी तो प्रतिशत में जाने वाला कमिशन भी कम हो जायेगा और मरीज पर पड़ने वाला भार कम होगा। वीडियो के लिए निम्न लिंक को क्लिक करें -
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=4117454481636275&id=100001152913836
सादर
Raghuveer Prasad Meena
Do good to others by acts of kindness and acts of generosity.
rpmwu400 dt. 08.06.2021.
#dogoodtoothers one feels good by acts of kindness and acts of generosity. Please watch video on the following link :
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=4126109384104118&id=100001152913836
Regards
Raghuveer Prasad Meena
गरीब व कमजोर से बार्गेनिंग करने में कोई समझदारी नहीं है।
rpmwu399 dt. 08.06.2021
वास्तव में सही बात है कि व्यक्ति गरीब व कमजोर पर बेवजह दादागीरी करता है। मजदूर/सब्जीवाले/रिक्शावाले/छोटी दुकान वाले इत्यादि से कुछ पैसे कम करवाकर अधिकांश लोग अपने आप को बहुत होशियार समझते है। दूसरी ओर दवा वालों व बड़े होटल व रेस्तरां वालों से कोई बार्गेनिंग नहीं करता है।
यदि गरीब व कमजोर को थोड़े अधिक पैसे चले भी जाये तो समझना चाहिए कि धर्म का काम हो गया है। बिना मंदिर जाये भक्ति हो जाती है और जरूरतमंद की मदद हो जाती है।
विचारणीय पहलू है। जरा सोचिए व यदि ऐसा करते है तो अपनी आदत बदले। वीडियो के लिए निम्न लिंक को क्लिक करें -
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=4157123234336066&id=100001152913836
सादर
Raghuveer Prasad Meena
Sustainable_development by पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी
rpmwu398 dt. 08.06.2021
पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने बताया कि विज्ञान से विकास व विनाश दोनों हो सकते है। मनुष्य को अच्छे व्यक्ति की तौर पर पृथ्वी पर रहना सीखना होगा। #sustainabledevelopment
वीडियो देखने के लिए निम्न लिंक को क्लिक करें -
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=4126774044037652&id=100001152913836
संगत_company का जीवन में बहुत अधिक प्रभाव व महत्व होता है।
rpmwu397 dt. 08.06.2021
#संगत_company का जीवन में बहुत अधिक प्रभाव व महत्व होता है। व्यक्ति के विशेष गुणधर्म विकसित होने व उसकी पहचान बनने में संगत का बहुत बड़ा योगदान होता है।
defectivesoftware वास्तव में हमारे देश के अधिकांश लोगों की सोफ्टवेयर में #जाति बहुत ही भयंकर तरह से चिपकी हुई है।
गौतमबुद्ध ने जीवन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने व अंधविश्वास और कुरीतियों से दूर रहने की शिक्षा दी।
rpmwu395 dt.08.06.2021
गौतमबुद्ध ने जीवन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने व अंधविश्वास और कुरीतियों से दूर रहने की शिक्षा दी।
रूठी_हुई_खामोशी_से_बोलती_हुई_शिकायतें_अच्छी_होती_है
rpmwu394 dt. 08.06.2021
#Life_lesson
किसी को प्रेम देना सबसे बड़ा उपहार है और किसी का प्रेम पाना सबसे बड़ा सम्मान है। #रूठी_हुई_खामोशी_से_बोलती_हुई_शिकायतें_अच्छी_होती_है आपस के सम्बन्धों को सुदृढ़ रखने के लिए कोई भी कंफ्यूजन हो तो हमेशा अकेले में सीधी बात करने से अधिकांशतः स्थिति स्पष्ट और सम्बन्ध सही रहते है। सादर Raghuveer Prasad Meenaसामाजिक_विषमता_व_अत्याचार_समाप्ति_के_कानून इनके बारे में जरूर जाने व विषमता और अत्याचार की समाप्ति में स्वयं का रोल अदा करें।
rpmwu393 dt. 08.06.2021
#संविधान_का_आर्टिकल_13 क्या है?
आर्टिकल 13 के अनुसार साविधान लागू होने की दिनांक से पहले जीतने भी धार्मिक ग्रन्थ, विधि कानून जो विषमता पर आधारित थे उन्हें *शून्य घोषित किया गया।* व्याख्या - इस कानून के अनुसार भारत रत्न बाबा साहब डाॅ भीमराव अम्बेडकर ने सिर्फ एक लाइन में ढाई हजार सालों की उस व्यवस्था और उस कानून की किताबों को शून्य घोषित कर दिया जो इंसानों को गुलाम बनाने के लिए इस्तेमाल की जा रही थी जैसे संविधान लागू होने से पहले भारत में मनुस्मृति का कानून लागू था। मनुस्मृति के अनुसार भारत के शूद्र व अति शूद्र और महिलाओं को शिक्षा का अधिकार नहीं था एवं संपत्ति का अधिकार भी नहीं था।। इसके अलावा मनुस्मृति के कानून के अनुसार शुद्र वर्ण को सिर्फ कुछ वर्णो की निस्वार्थ भाव से सेवा करने के लिए ही इस्तेमाल किया जाता था और अति शूद्र लोगों को पानी पीने तक का अधिकार नहीं था। यह विषमता वादी कानून इतनी कठोरता से लागू था जिसे पढ़कर बाबा साहब का हृदय कांप उठा था। बाबा साहब ने इस मनुस्मृति के कानून का अध्ययन किया तो पाया कि भारत की #महिलाएं_दोहरी_गुलाम है ,उन्हें तो सिर्फ इस्तेमाल की वस्तु ही समझा जाता था। इसके अलावा सती प्रथा, बाल विवाह,बेमेल विवाह,वैधन्य जीवन,मुंडन प्रथा आदि क्रूर प्रथाएं लागू थी।। यह प्रथा इसलिए लागू की गई ताकि चालाक लोगों द्वारा निर्मित जाति व्यवस्था मजबूत बनी रहे और शूद्र व अति शूद्र लोग उनकी गुलामी व बेगारी करते रहे। 19वीं सदी में ज्योतिराव फुले, सावित्री बाई फुले, विलियम बैटिंग, लार्ड मैकाले आदि विद्वानों ने अपने अपने स्तर पर बहुत कोशिश की इस व्यवस्था को खतम करने की। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने अपनी विद्वता के दम पर 25 दिसंबर 1927 को इस मनुस्मृति नामक विषमता वादी जहरीले ग्रंथ को आग लगा दी और अछूत लोगों को महाड में पानी पीने का अधिकार दिलवाया। इसके बाद बाबा साहब ने पूरे भारत में घूम घूम कर साइमन कमीशन को मनुस्मृति से प्रभावित शूद्र व अति शूद्र लोगों की वास्तविक स्थिति का परिचय करवाया। 1931-32 में बाबा साहब ने इन 90% लोगों को वोट का अधिकार दिलवाया। सबके लिए प्रतिनिधित्व का अधिकार, विधिमंडल में उचित प्रतिनिधित्व और शिक्षा का दरवाजा राष्ट्रीय स्तर पर सबके लिए खुलवाया। जब संविधान लिखने की बात आई तो बाबा साहब ने लीडरशिप दर्शाते हुए सामाजिक विषमता की शिक्षा से भरे तमाम कानूनों और धर्म ग्रंथों को, जो इंसान को इंसान नहीं मानते थे, महज एक लाइन में अवैध घोषित कर दिया। इसी सविधान ने बाबा साहब ने सभी कमजोर वर्ग के लोगों के कल्याण के लिए विभिन्न आर्टिकल्स में प्रावधान करके अलग अलग क्षेत्र में विशेषाधिकार दिए जिनकी वजह से कमज़ोर वर्ग के लोगों को सामाजिक क्षेत्र में बराबरी के अधिकार का द्वार खुल गया। आज भी कुछ महास्वार्थी, नासमझ व धूर्त लोग इस बात को बर्दाश्त नहीं कर रहे है और पिछड़े व कमजोर वर्ग के हितों पर डायरेक्ट व इनडायरेक्ट तरीके से चोट पहुंचाने के लिए रात दिन प्रोपेगंडा और धर्म,भ्रम,पाखंड व अंधविश्वास का इस्तेमाल करते है। साथ में कमजोर वर्गों के हितों की बात करने वाले सक्षम लोगों को विभिन्न प्रकार से झूठ का सहारा लेकर प्रताड़ित करवाते है। #आर्टिकल_14 क्या है? आर्टिकल 14 के अनुसार ऐसा कोई भी कानून फिर से लागू नहीं होगा और ना ही बनेगा जो इंसानों के साथ विषमता वादी व्यवहार करें और उनको बद से बदतर जिंदगी जीने के लिए मजबूर करें। अर्थात भारत के सभी नागरिक को समान मानते हुए ही विधि या कानून लागू किये या बनाए जाए। व्याख्या - भारत की संसद में चाहे किसी का भी बहुमत हो तो इस बहुमत के आधार पर ऐसा कोई कानून नहीं बनाया जाएगा जो पूर्व में मौजूद व्यवस्था को मजबूत बनाए और एक कम्यूनिटी को इस कानून के दम पर तानाशाही करने के लिए संरक्षण प्रदान करता हो। इसलिए आर्टिकल 14 सभी भारतीयों के लिए एक समान विधि सहिंता उपलब्ध करवाता है और किसी भी विषमता वादी कानून बनाने के लिए रोकता है चाहे संसद में कितना भी बहुमत क्यों ना हो। #मुख्य_मुद्दा यह है कि हम सत्य को सही रूप में जाने व भूतकाल में कुछ लोगों के स्वार्थ के वशीभूत होकर जो गलतियां की गई उनको दोहराने से बचें। #व्यक्ति_की_सोच उसके पालन-पोषण के माहौल से बनी उसके #मष्तिष्क_की_सोफ्टवेयर पर निर्भर करती है। परन्तु जब व्यक्ति 18 वर्ष से अधिक आयु का हो जाये तो उसे उसकी सोफ्टवेयर में पल रहे विभिन्न वायरसों के बारे में अंदाजा लगाकर सुधारात्मक कार्यवाही कर लेनी चाहिए। (यह पोस्ट वाट्सएप पर प्राप्त हुई, पढ़ने व समझने के पश्चात इसमें कुछ मोडिफिकेशन व एडिशन किये गये है) सादर Raghuveer Prasad Meenaद्रोणाचार्य_की_दुष्टता_की_पराकाष्ठा
rpmwu392 dt.08.06.2021
#द्रोणाचार्य_की_दुष्टता_की_पराकाष्ठा। कैसे धर्म के नाम पर एकलव्य व उसके जैसे अनेकों महान विभूतियों का विनाश किया गया। ऐसे धर्म को में धार्मिक अंधविश्वास का प्रदूषण (DAP) कहता हूं।
#saveenvironment : Man can explore alternatives whereas animals & birds cannot.
#saveenvironment How Tissue Paper is a Threat To Our World. | Anuj Ramatri
Behaviour is more important than the Knowledge.
#Behaviour is more important than the knowledge most of the times. In difficult situations, one's behaviour helps him more than the knowledge. Everyone can improve his behaviour like knowledge by introspection and self corrections in the areas of concern.
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Monday, 7 June 2021
7 जून 1893 : महात्मा गाँधी के जीवन के महत्वपूर्ण मोड़ से हम क्या सीख सकते है?
यह घटना सभी ने सुनी है सामान्यतः तो इसमें कोई नई बात नजर नहीं आती है। परंतु यदि गहराई से सोचें तो अनेकों मनुष्यों व समुदायों के जीवनकाल में कई बार इस प्रकार की घटनाएं होती है जिसमें बिना उनकी गलती के उनके साथ भयंकर अत्याचार होते है। ऐसे सभी व्यक्तियों को बेवजह अत्याचार की घटनाओं को टर्निंग प्वाइंट समझते हुए महात्मा गांधी के जीवन से सीख लेते हुए अत्याचार के खिलाफ प्लान करके संघर्ष का बिगुल बजा देना चाहिए। लम्बे समय तक अत्याचार को सहना कोई समझदारी नहीं है। #अन्याय_को_सहना_कायरता_है।
Saturday, 5 June 2021
विश्व पर्यावरण दिवस 2021 : मैं स्वयं क्या कर सकता हूँ ? पर्यावरण संरक्षण हेतु माँ की तरह काम करे ना कि दाई की भांति सलाह दे।
विश्व पर्यावरण दिवस पर बड़ा प्रश्न है कि पर्यावरण संरक्षण में मैं स्वयं क्या कर सकता हूँ ?
पर्यावरण संरक्षण हेतु माँ की तरह काम करे ना कि दाई की भांति सलाह दे।
विश्व पर्यावरण दिवस सन 1972 के पश्चात हर वर्ष मनाया जाता है। इस दिन पर्यावरण का महत्त्व व उसका संरक्षण मुख्य फोकस रहता है। पर्यावरण संरक्षण मनुष्य के स्वयं के अस्तित्व की आवश्यकता है। यक्ष प्रश्न है कि आख़िर पर्यावरण ख़राब क्यों होता है? पर्यावरण को बिगाड़ने में जानवरों व पशु पक्षियों का कोई हाथ नहीं है, केवल मनुष्य ही उसकी विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्तिओं के लिए अनेकों उत्पादों के उत्पादन व सेवाओं के संचालन हेतु ऊर्जा का उपयोग करता है और इसी क्रम में पर्यावरण ख़राब होता है। हमारे देश में वर्ष 2017 के आंकड़ों के मुताबिक लगभग 70% ऊर्जा की आवश्यकता की आपूर्ती कोयले एवं पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स से होती है। शेष 30% ऊर्जा की आपूर्ति बायोफुएल, नेचुरल गैस, हाइड्रो, सोलर, विंड, न्यूक्लेयर इत्यादि संसाधनों से होती है। कोयले एवं पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स में अधिकांशतय: कार्बन होता है जो कि एक बहुल लम्बे कालांतर में ज़मीन के अंदर प्राकृतिक कारणों से दफ़ना हुआ है। ऊर्जा के इन स्त्रोतों से ऊर्जा प्राप्त करने हेतु कोयले एवं पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स (डीजल, पेट्रोल एटीफ इत्यादि) को ज़मीन से बाहर निकलकर उनका ट्रांसपोर्टेशन कर उन्हें जलाना होता है ताकि उत्पन्न ऊर्जा से विभिन्न प्रकारों के उत्पाद व सेवाओं उत्पादन/संचालन हो सके। किसी भी भोग विलास या आजकल तो अधिकांश को आवश्यकता कह सकते है, की वस्तुओं में काम आने वाले उत्पादों यथा बिजली, स्टील, सीमेंट, रोड व हाईवे कंस्ट्रक्शन, काम आने की शेप में पत्थर, मोबाइल्स, टेलीविज़न, कम्प्यूटर्स , पेपर, इलेट्रॉनिक आइटम्स, ग्लास, कपड़े, बड़े पैमाने पर खाने की वस्तुएं इत्यादि को बनाने के लिए ऊर्जा अर्थात बिजली या हीट की आवश्यकता होती है जो कि अधिकांशतय कोयले एवं पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स के प्रयोग से उत्पादित होती है। परन्तु इसी के साथ यह भी जान लेना आवश्यक है कि 1 लीटर डीजल की खपत से 2.86 किलोग्राम तथा 1000 यूनिट बिजली के उत्पादन में 0.82 टन कार्बनडाइऑक्सइड का क्रमशः वातावरण में विसर्जन होता है जो कि पर्यावरण के प्राकृतिक संतुलन को ख़राब करती है।
सयुंक्त राष्ट्र संघ, अन्तर्रष्ट्रीय एवं राष्ट्रिय स्तर पर सभी देश आपस में तय मापदंडों के अनुसार पर्यावरण संरक्षण की दिशा को ध्यान में रखकर विकास कार्य करते रहते है। हमारे देश की भी लगातार कोशिश है कि ऊर्जा के अक्षय स्त्रोतों का अधिकाधिक प्रयोग करें। अक्षय स्त्रोतों जैसे हाइड्रो, सोलर, विंड, न्यूक्लेयर इत्यादि से बिजली उत्पादन को राष्ट्रिय स्तर पर विशेष महत्व दिया जा रहा है ताकि कार्बनडाइऑक्सइड का उत्सर्जन कम हो और पर्यावरण शुद्ध रहें। साथ ही सरकार ऐसे उत्पादों पर विशेष प्रोत्साहन देती है जिनके उत्पादन व प्रयोग में कम ऊर्जा खर्च हो। परन्तु कुछ देश ऐसे है जो पर्यावरण ख़राब होने को महसूस तो करते है परन्तु स्वयं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कम काम करते है, केवल चिंता व्यक्त करते है और दूसरों को पर्यावरण संरक्षण सलाह देते रहते है। पर्यावरण के संरक्षण के लिए वास्तव में काम करने वालों एवं केवल सलाह देने वालों में बच्चा होते समय माँ के द्वारा की जाने वाली कोशिश और दर्द एवं दाई द्वारा महसूस दर्द व सलाह के सामान अंतर होता है।
सयुंक्त राष्ट्र संघ, विभिन्न देश, प्रदेश, शासन, प्रशासन पर्यावरण संरक्षण हेतु अपने अपने स्तर पर कार्य करते है। उन्हें करने दिया जाये, प्रोत्साहित करें और उनका सहयोग करें। हम स्वयं भी अपनी डिमांड सीमित रखकर, रहने के तरीकों को सरल बनाकर पर्यावरण संरक्षण व सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए निम्न प्रकार से अहम रोल अदा कर सकते है।
1. आदिवासी अर्थात स्वदेशी लोग (indigenous People) दुनिया की सतह क्षेत्र के एक चौथाई (1/4th , 25%) हिस्से पर रहते है परन्तु वे दुनिया की 80 % बची हुई जैव विविधता की रक्षा करते हैं। उनसे जीवन को कैसे सादा रखा जाये यह सीखा जा सकता है। अपनी आवश्यकताओं को नियंत्रित करके वस्तुओं व सेवाओं के सीमित उपयोग/उपभोग से ऊर्जा की आवश्यकता को परोक्ष रूप से कम कर कोयले एवं पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स की खपत को कम करने में सहयोग कर सकते है।
2. जरूरत से ज्यादा मैटेरियल लगने वाले समस्त डिजाइन बड़ी मात्रा में अधिक सामग्री के स्तेमाल का कारण बनते है। इसी प्रकार मशीनों व असेटस् के रखरखाव में इनएफीसियेंसी भी अधिक ईधन तेल, ल्यूब आयल व अन्य मदों की बेवजह खपत का कारण होती है। अतः डिजाइन व मेन्टेनेंस से सम्बन्धित व्यक्ति उनके कार्यो को सही निष्पादित करके मदों की खपत कम करने में अहम रोल अदा कर पर्यावरण संरक्षण में विशेष सहयोग कर सकते है।
3. चीजों के उपयोग को रेडूस (कम), रीयूज (दुबारा उपयोग), रीसायकल (दूसरी चीज़ बनाने में उपयोग) करें।
4. पेपर नैपकिन्स को बनाने में बहुत अधिक संख्यां में पेड़ काटे जाते है। उनका कम से कम उपयोग करें।
5. बिजली व डीजल/पैट्रोल की खपत में मितव्यता बरते।
6. प्लास्टिक के कैरी बैग्स का कम से कम उपयोग करें।
7. अधिक से अधिक अधिक संख्यां में पेड़ लगाएँ।
पर्यावरण के संरक्षण के लिए वास्तव में सलाह से ज्यादा काम करें। पर्यावरण संरक्षण हेतु माँ की तरह काम करे ना कि दाई की भांति सलाह दे।
विश्व पर्यावरण दिवस 2021 : GHGs - Green House Gases (ग्रिन हाउस गैसेज़) व ग्लोबल वार्मिग।
rpmwu387 dt 05.06.2021
GHGs - Green House Gases (ग्रिन हाउस गैसेज़) व ग्लोबल वार्मिग।