Wednesday 20 October 2021

क्या मनुष्य भगवान का संरक्षक है?

rpmwu431 dt. 20.10.2021

अभी हाल ही में पंजाब व बंग्लादेश में तथाकथित धार्मिक भावनाओं से आहत अनुयायियों ने अपने आप को गुरुग्रंथ साहिब व अल्लाह का संरक्षक बनकर गंभीर हिंसात्मक गतिविधियों को अंजाम दिया है जिसमें लोगों की नृशंस हत्या की गई एवं सम्पत्ति को भारी नुकसान भी पहुंचाया गया है। 

यह समझना जरूरी है कि भगवान/अल्लाह/गाॅड/गुरु जिन्हें सर्वशक्तिमान कहा जाता है, अनुयायियों के संरक्षक है या अनुयायी, भगवान/अल्लाह/गाॅड/गुरु के संरक्षक है? जैसे जब किसी छोटे बच्चे को कोई कुछ कह देता है या पीट देता है या कोई नुकसान कर देता है तो उसके पेरेंट्स या अभिभावक उसके लिए जाकर लड़ने लग जाते है। भगवान/अल्लाह/गाॅड/गुरु यदि करूणा और दया का अभिप्राय है एवं सर्वशक्तिमान है तो उसके लिए दूसरों को लड़ने की जरूरत क्या है? क्यों लोग धार्मिक बातों पर दूसरों को जान से तक मार देते है? आखिर माजरा क्या है? 

हर बार बहाना होता है कि किसी व्यक्ति ने भगवान/अल्लाह/गाॅड/गुरु के बारे में कुछ अप्रिय कह दिया है या धार्मिक रीीतिरिवाजों कीी  निंदा कर दी है या उनके बारे में कुछ ऐसी बात बोल दी जो कि उनको मानने वालों को खराब लगी। ऐसे होने पर अनुयायी जिस व्यक्ति ने इस प्रकार की बात कही उसके विरुद्ध गंभीर दर्दनाक घटना घटित कर देते है। कहीं-कहीं तो व्यक्ति को जान से भी मार दिया जाता है और कुछ केसों में ना केवल उस व्यक्ति को अपितु उसके घरवालोंं एवं जानने वालों को भी जानमाल व संपत्ति का भारी नुकसान पहुंचा दिया जाता है। 

आखिर इसका क्या मतलब है? यदि भगवान/अल्लाह/गाॅड/गुरु है और वह बहुत पावरफुल है तो वह खुद ही उसके विरुद्ध कहने वाले पर कार्रवाई कर देगा। परंतु ऐसा लगता है कि जो लोग अनुयायी है उनको उनके भगवान/अल्लाह/गाॅड/गुरु पर भरोसा नहीं है और वे स्वयं ही भगवान/अल्लाह/गाॅड/गुरु के संरक्षक का काम करने लग जाते है और तथाकथित दोषी समझे जाने वाले व्यक्ति को सजा देने का गैरकानूनी कृत्य कर देते है। 

इसे गहराई से समझना होगा कि आखिर संरक्षक है कौन? क्या अनुयायी, भगवान/अल्लाह/गाॅड/गुरु के संरक्षक है या भगवान/अल्लाह/गाॅड/गुरु उन अनुयायियों का संरक्षक है? वास्तव में विचार करें तो पता चलता है कि धार्मिक अंधविश्वास के प्रदूषण के कारण जो धार्मिक कट्टरता है उसकी वजह से संसार में जितनी हिंसा हो रही है उससे अधिक और किसी भी वजह से नहीं होती है। अतः आवश्यकता है की लोगों की मानसिकता और विचारधारा को ही सही किया जाए। इसके लिए व्यक्तिगत स्तर के अलावा सामाजिक, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ठोस कार्यवाही होनी चाहिए। जिस प्रकार हम क्लाइमेट चेंज को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं और संयुक्त राष्ट्र संघ तक भी इस विषय में अनेकों कार्यक्रम व विचार संगोष्ठी करवाता है ताकि क्लाइमेट को खराब करने वाले पहलुओं और गतिविधियों पर अंकुश लग सके। उसी तर्ज पर आवश्यकता है कि व्यक्तिगत, सामाजिक, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय, सरकारी व गैरसरकारी स्तरों पर कट्टरता फैलाने वाले धार्मिक संगठनों व व्यक्तियों को चिन्हित किया जाए और उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि सामान्य गतिविधियों में से कट्टरता दूर हो जाये और सभी धर्मों के लोग धर्मांधता को समाप्त करके आपस में भाईचारे के साथ अहिंसात्मक तरीके से रह सके और एक दूसरे की उन्नति में सहयोग करें।

सादर 
रघुवीर प्रसाद मीना

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