Saturday 9 October 2021

वित्तीय औचित्य के सिद्धांत

rpmwu430 dt. 09.10.2021
वित्तीय_औचित्य_के_सिद्धांतों में सबसे महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक अधिकारी से यह अपेक्षा की जाती है कि वह सार्वजनिक धन से किए गए व्यय के संबंध में उसी सतर्कता का प्रयोग करेगा जैसा कि एक सामान्य विवेक वाला व्यक्ति अपने स्वयं के धन के व्यय के संबंध में करता है।

सामान्य व्यक्ति जब पेन खरीदने जैसा छोटा खर्चा करता है तब भी वह पेन को खोलकर व चलाकर और उसकी सही सलामती देखता है और यदि एक दो दिन में खराबी आ जाये तो वह उसे बदलवाने का प्रयास करता है। अमूमन साधारण कार्य के लिए वह बहुत मंहगा पेन नहीं खरीदता है।

इसी तर्ज पर हर सरकारी व्यक्ति को चाहिए कि -
1. केवल_आवश्यकता होने पर ही चीजों को खरीदने का प्रस्ताव बनायें।

2. स्पेशिफिकेशन ऐसे बनाये जिसके लिए ज्यादा लोग पार्टीशिपेट कर सके।

3. खरीद या टेंडर फाईनल करते समय रेट_रिजनेबलिटी की सही जांच करें। इंटरनेट के समय यह आसान हो गया है। दूसरी जगह के कितने भी आॅर्डर रिजनेबलिटी के ठोस बैसिस नहीं हो सकते है।

4. CAMC_AMC के आर्डरस् में रेट पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। काॅन्ट्रेक्ट के चलने पर पुन : देखते रहे कि फर्म की मेनपावर व मैटेरियल की कोस्ट काॅन्ट्रेक्ट की दर की तुलना में कैसी है? ताकि जरूरत लगने पर सुधारात्मक कार्यवाही की जा सके।

5. जो चीजें जल्दी खराब हो उनके लिए वारंटी क्लेम जरूर करें। ऐसा करने से फर्म उसके प्रोडक्ट की गुणवत्ता में जहां एक ओर सुधार करेगी वहीं बिना लागत का रिप्लेसमेंट मिल जायेगा।

सादर
रघुवीर प्रसाद मीना

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