rpmwu175
19.12.2018
भेंस खरीदते समय दुध के अलावा अन्य गुणों को देखने वाले खरीददारों का क्या होगा?
लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनावों के दौरान ऐसे नेताओं को चुना जाना चाहिए जो विकास करवाएं एवं जिनकी नियत देश व प्रदेश को आगे बढ़ाने की हो और समग्रता के उत्थान की भावना रखते हो ना कि एक दूसरे को जाति और धर्म के आधार पर लड़ाने की। कई नेता द्वेषता फैलाकर व लोगों की भावनाओं को भड़काकर चुनाव जीतने का गुप्त लक्ष्य रखते हैं, परन्तु वोटरस् उनकी इस चाल को नहीं पहचान पाते है।
साधारण वोटरस् नेताओं को धर्म, जाति एवं भाषण देने की शैली मात्र से प्रभावित होकर वोट देने का निर्णय ले लेते है। जबकि देखना चाहिये कि उसकी सोच व विचार कैसे हैं? उसे कितना ज्ञान है? वह विकास कार्य करवाने में कितना सक्षम है?
जो लोग नेताओं में विकास के कार्य करवाने की क्षमता और सही नीति व नियत को नहीं देख पाते हैं वे लगभग ऐसा ही करते हैं जैसे भैंस खरीदते समय कुछ कम समझदार लोग भैंस के दूध पर ध्यान नहीं देकर उसके सींग, पूँछ की लम्बाई, पूँछ में बाल व उसके रंग इत्यादि पर ज्यादा ध्यान देते है।
वोटरस् को चाहिए कि जब भी नेता चुने तो देखें कि उसकी योग्यता क्या है? उसकी नियत कैसी है? क्या वह वास्तव में विकास कार्य करवा सकता है? क्या वह सामाजिक समन्वय में सुधार करवा सकता है? क्या वह साधारण जन की उन्नति हेतु समर्पित है? जो नेता सामाजिक सद्भावना को जाति, धर्म व क्षेत्र इत्यादि के नाम पर खराब करवाते है उनका तिरस्कार किया जाना चाहिए।
रघुवीर प्रसाद मीना
No comments:
Post a Comment
Thank you for reading and commenting.